तमिलनाडु यात्रा के दौरान पीएम को दिखाए जाएंगे काले झंडे : डीएमके
आपको बता दें कि स्टालिन ने कहा कि बंद के बाद ‘कावेरी राइट रीट्रीवल यात्रा’ का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रैली में अच्छे संबंध वाले सभी दलों के नेताओं की सहभागिता देखने को मिलेगी। उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत कावेरी डेल्टा क्षेत्र से होगी। उन्होंने बताया कि मित्र दलों के नेताओं के साथ सलाह- मशविरा के बाद कावेरी मुद्दे में राज्य के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ‘लंबी यात्रा’ के ब्यौरे की घोषणा की जाएगी।
आपको बता दें कि डीएमके नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगियों की तमिलनाडु यात्रा के दौरान काले झंडे दिखाए जाएंगे। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सीएमबी स्थापित नहीं करने पर उन्हें दोषी ठहराने के लिए किया जाएगा। कुछ दिन पूर्व स्टालिन ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी की 11 अप्रैल को प्रस्तावित तमिलनाडु यात्रा के दौरान उन्हें काले झंडे दिखाए जाएंगे। बता दें कि पिछले सप्ताह डीएमके के एक नेता ने बताया कि पार्टी प्रदर्शन के लिए मरीना बीच में आयोजित जल्लीकट्टू-मॉडल विरोध का सहारा ले सकती है। इस दौरान सत्तारूढ़ पार्टी एआईडीएमके ने 3 अप्रैल को कावेरी मुद्दे को लेकर राज्यव्यापी भूख हड़ताल की घोषणा की है।
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29 मार्च को समयसीमा समाप्त
गौरतलब है कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) गठित करने के मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीसामी ने कहा कि किस तरह की याचिका डालनी है इसके बारे में हम कानूनी विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा करेंगे। बता दें कि पलानीसामी की अध्यक्षता में इस संबंध में कानूनी कदम के बारे में उप मुख्यमंत्री और उच्चाधिकारियों की के बीच चर्चा हुई। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कावेरी विवाद के संबंध में एक योजना तैयार करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था। 29 मार्च को समय-सीमा समाप्त होने के बाद गुरुवार को यह बैठक की गई। इस बैठक में मुख्यमंत्री पलानीसामी ने कहा कि सरकार राज्य के अधिकारों को लागू करने और कावेरी मुद्दे पर किसानों के कल्याण के प्रति समर्पित है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने कहा है कि कर्नाटक विधानसभा का चुनाव मई में होने वाले हैं, और राज्य के लिए कावेरी जल मुद्दा बहुत ही संवेदनशील मामला है। यदि किसी भी प्रकार से कोई कार्रवाई की जाती है तो यह संविधान की अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम 1936 की धारा 6A के तहत उल्लंघन माना जाएगा। यह चुनावी प्रक्रिया और कानून व्यवस्था के नजरिये से ठीक नहीं है।
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क्या है कावेरी जल विवाद मामला
आपको बता दें कि भारतीय संविधान के मुताबिक कावेरी एक अंतर्राज्यीय नदी है। कावेरी नदी कर्नाटक, केरल, पांडिचेरी और तमिलनाडु से होकर गुजरती है। हालांकि कर्नाटक और तमिलनाडु से नदी का 90 प्रतिशत हिस्सा गुजरता है। कावेरी नदी के पानी को लेकर चारों राज्यों के बीच विवाद सालों से चल रहा है। बीते 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कावेरी जल विवाद को लेकर दिये गये फैसले में 14.75 टीएमसी पानी कर्नाटक को अधिक देने को कहा गया जबकि तमिलमाडु को मिलने वाला पानी में कटौती की गई। हालांकि कोर्ट ने तमिलनाडु को कावेरी बेसीन से 10 टीएमसी अतिरिक्त भूमिगत पानी उपयोग करने की इजाजत दी है।