शनिवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की गंभीर हालत वेंटिलेटर पर रखा गया है। शनिवार को उन्हें सांस और गुर्दे की बीमारियों के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 89 वर्षीय चटर्जी के बारे में चिकित्सकों का कहना है है कि उनकी स्थिति बेहद नाजुक है।
इससे पहले जून के अंत में ब्रेन स्ट्रोक का झटका लगने के बाद उन्हें कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिन पहले उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी क्योंकि उनकी हालत में मामूली सुधार हुआ था। जब अस्पताल में भर्ती कराया गया तो चटर्जी सांस की समस्या से भी पीडि़त थे। चटर्जी एक प्रतिष्ठित एक निष्पक्ष राजनेता हैं। भारत में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले संसद सदस्यों में से एक हैं। वह 1971 से 2009 तक लोकसभा के सदस्य रहे हैं। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्हें 1984 के लोकसभा चुनाव में जादवपुर सीट से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हराया था। उस समय इंदिरा की लहर में वो हार गए थे।
सोमनाथ चटर्जी 1968 में सीपीआई (एम) में शामिल हुए और 2008 तक पार्टी के सदस्य बने रहे। उन्हें सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो लोकसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा न देने पर पार्टी से निकाल दिया था। उस समय कम्युनिस्ट पार्टी ने यूपीए वन सरकार से अमरीका से परमाणु करार के मुद्दे पर अपना समर्थन वापस ले लिया। पार्टी ने उन्हें लोकसभा पद से इस्तीफा देने को कहा था, जिसे मानने से उन्होंने इनकार कर दिया था। पूरी निष्पक्षता के साथ लोकसभा का संचालन करने को लेकर उन्होंने हर पार्टी के नेताओं के बीच अपनी बेहतर छवि बनाई। उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में प्रतिबद्ध वामपंथी के रूप में देश के गरीब लोगों के हित में काम किया।
हाल ही में सोमनाव चटर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम ममता बनर्जी सरकार पर पंचायत चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था। तब उन्होंने कहा था कि इस उम्र में भी मैं इस तरह की हरकतों का विरोध करता हूं। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और ममता ने इन बातों की उपेक्षा कर धांधली के आधार पर चुनाव लड़ने का काम किया।