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भारत के डाॅक्टरों ने सैरील और ग्लैडी के सपनों में भरी उड़ान, पिता ने कहा धन्यवाद इंडिया

भारत के डाॅक्टरों ने किया सेरेब्रल पालसी का सफल इलाज, खुद के पैरों पर दोनों बेटियां चलीं

प्रयागराजDec 13, 2017 / 09:26 pm

arun ranjan

cerebral palsy

सेरेब्रल पालसी

इलाहाबाद. साउथ अफ्रीका के पीटर एन गंगा और केन्या के निकोलस वगांमती ने कभी ये सोचा भी नहीं था कि उनकी बेटियां अपने पैरों पर कभी खड़ी भी हो सकेंगी। लेकिन इंडिया के डाॅक्टरों ने सफल इलाज कर दोनों बेटियों के सपनों में उड़ान भर दी है। दोनों देशों की बेटियां अब उठने, बैठने के साथ खुद के पैरा पर चल सकती हैं। बेटियों को खुद के पांव पर खड़ा देख उनके माता पिता की खुशी से आंखे भर आईं।

पीटर एन गंगा साउथ अफ्रीका के मलावी देश के रहने वाले हैं। वो शिक्षा मंत्रालय में सेवारत हैं। उनकी सात वर्षी बैअी सैरील सेरेब्रल पालसी से ग्रसित थी। जिसके कारण वह जन्म से ही उठने, बैठने और चलने फिरने में असमर्थ थी। काफी इलाज कराने के बावजूद उनकी बेटी के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने भारत के डाॅक्टरों पर विश्वास किया। उन्हें इलाहाबाद के त्रिफला फाउंडेशन के बारे में जानकारी मिली।

अगस्त 2017 में ये लोग बेटी सैरील का इलाज कराने इलाहाबाद आ गए। यहां सैरील का करीब चार महीने तक इलाज चला। अब सैरील उठने, बैठने के साथ चलने फिरने मंे भी सक्षम है। इसे देख सैरील के माता पिता काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि बेटी के ठीक होने से काफी खुश हैं। यहां आने से उन्हें इस बीमारी को ठीक करने संबंधित कई जानकारियां भी हुई।

अपने देश में सेलेब्रम पालसी से प्रभावित बच्चों के अभिभावकों को इसके प्रति जागरूक करेंगे। साथ ही जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपने बच्चे को भारत नहीं ला सकते। ऐसे लोगों के लिए वहीं फाउंडेशन की स्थापना कर आधुनिक पुर्नवास बनाएंगे। ताकि ऐसे लोगों का मलावी में ही इलाज हो सके। साथ ही उन्होंने मलावी दूतावास से मदद की पूरी उम्मीद जताई। इस दौरान उन्होंने सफल इलाज के लिए फाउंडेशन अध्यक्ष जितेंद्र कुमार जैन को शुक्रिया कहा।

साथ ही भारत सरकार को भी इतने दिनों का वीजा देने के लिए धन्यवाद कहा। केन्या के रहने वाले निकोलस वगांमती ने यहीं पर पिछले चार महीने से सेरेब्रल पालसी से पीड़ित बच्ची का इलाज करा रहे थे। उन्होंने भी अपनी बेटी के ठीक होने की उम्मीद छोड़ दी थी। केन्या से भारत के इलाहाबाद शहर स्थित फाउंडेशन से सम्पर्क किया। चार महीने तक चले कुशल इलाज के कारण आज उनकी बेटी उठने, बैठने के साथ खुद के पैर पर चलने में सक्षम हैं।

निकोलस और उनकी पत्नी ने बताया कि यहां सफल आॅपरेशन के बाद पुर्नवास केंद्र पर थेरेपी सहित बताए गए अन्य क्रियाओं से काफी तेजी से फायदा हुआ। निकोलस ने भी अपने देश में इस फाउंडेशन के मार्गदर्शन में पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की बात की। इन्होंने भी भारत सरकार को इतने दिनों तक रहने का अवसर देने पर धन्यवाद दिया।

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