जाने छत्तीसगढ़ के अजीब जगहों के बारे में
1. आलू-अंडे उबल जाते हैं इस पानी में
अम्बिकापुर से रामानुजगंज जाने वाली सड़क के पास गर्म पानी के आठ- दस कुंड हैं। यहां पानी का तापमान 96-100 डिग्री सेंटीग्रेट तक होता है। जिसके कारण यहां का पानी बहुत ही गर्म होता है। इस स्थान का नाम तातापानी है। इस पानी से त्वचा के रोग ठीक होते हैं। सबसे खास बात यह है कि इस कुंड का पानी सालभर गर्म रहता है।
2. मैनपाट की स्पंजी जमीन
मैनपाट अपनी सुंदरता और बहुत ठंड होने के कारण छत्तीसगढ़ का तिब्बत नाम से मशहूर है। यहां 1997 में भूकंप आया था जिसके बाद जमीन के अंदर के दबाव तथा खाली स्थान में पानी भरा गया था जिसकी वजह से यहां कि जमीन पर कांपने का अनुभव होने लगा। इसीलिए यह जमीन स्पंज लगती हैं। यहां ना केवल राज्य से बल्कि देश के दूसरे प्रदेशों से भी सैलानी जलजला नाम की जगह आते हैं।
3. अंधी मछलियों के लिए मशहूर यह गुफा
कांगेर वैली नेशनल पार्क के पास एक अंधेरी कुटुमसर गुफा है अर्थात पानी से घिरी हुई जगह। जहां अंधी मछलियां रहती है। यह गुफा बहुत पुरानी बनी है और अंधी मछलियों के लिए मशहूर है। जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती जिसके कारण यहां आने वाला व्यक्ति पूरी तरह अंधा महसूस करता है। जिसके कारण यहां कि मछलियों की आखों पर एक पतली सी झिल्ली चढ़ चुकी है, जिससे वे पूरी तरह अंधी हो गई हैं।
4. टिनटिनी पत्थर से निकलती है 6 प्रकार की आवाजें
दावा किया गया है कि दरिमा स्थित टिनटिनी पत्थर दरअसल मंगल ग्रह से गिरा उल्का पिंड है। माना जा रहा है कि उल्का पिंड के रूप में गिरते समय इसमें आग लगी थी और हल्के गैस के तत्व निकले थे। भारी तत्व और इसमें निकली गैसों से बने गड्ढे के कारण इस पत्थर को बजाने से छह प्रकार की आवाजें आती हैं, जैसे घंटियों में होती हैं। इसी कारण इसका नाम टिनटिनी पत्थर पड़ा है।
5. 7 धाराओं में बंट जाती है इंद्रावती नदी
इंद्रावती नदी मध्य भारत की एक बड़ी नदी है और गोदावरी नदी की सहायक नदी है। इस नदी का उदगम स्थान उड़ीसा के कालाहन्डी जिले के रामपुर थूयामूल में है। नदी की कुल लम्बाई 240 मील है। यहां से बारिश के मौसम में सात धाराओं का नजारा साफ नजर आता है। सभी सात धाराओं के पानी का रंग पहाड़ी इलाकों में अलग बहने के कारण थोड़ा अलग-अलग हो जाता है। घने जंगलों के बीच स्थित यह जगह बेहद खूबसूरत है।
6. इस नागलोक में रहते हैं 40 प्रकार के सांप
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में लगे फरसाबहार गांव का नाम ही नागलोक है। यहां 40 प्रकार के सांप पाए जाते हैं, जिसमें दुनिया की सबसे जहरीली 6 में से 4 प्रजातियां यहां मिलती हैं। बारिश के दिनों में इनके रहने की जगहों में पानी भर जाता है वहीं सूखी होने पर पुन: अपनी जगहों में आ जाते हैं। यहां स्नेक पार्क बनाने की भी प्लानिंग है, जिसमें एंटी वेनम के लिए सांपों का जहर भी निकाला जाएगा।