12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG History : छत्तीसगढ़ का ऐसा बाजार जहां सिर्फ महिलाएं आती थी खरीदारी करने , 150 साल पुराना है इतिहास

CG History : राजधानी की गलियों से लेकर यहां के बाजार अपनी गौरवशाली इतिहास की गाथाओं को समेटे हुए हैं। गोलबाजार, सदरबाजार, जवाहर बाजार की अपनी अलग खासियत है।

2 min read
Google source verification
CG History : छत्तीसगढ़ का ऐसा बाजार जहां सिर्फ महिलाएं आती थी खरीददारी करने , 150  साल पुराना है इतिहास

CG History : छत्तीसगढ़ का ऐसा बाजार जहां सिर्फ महिलाएं आती थी खरीददारी करने , 150 साल पुराना है इतिहास

CG History : रायपुर . राजधानी की गलियों से लेकर यहां के बाजार अपनी गौरवशाली इतिहास( CG History information) की गाथाओं को समेटे हुए हैं। गोलबाजार, सदरबाजार, जवाहर बाजार की अपनी अलग खासियत है। इन बाजारों के आसपास ही पुरानी बस्ती में स्थित टूरी हटरी बाजार की कहानी भी बेहद अलग है।

CG History : इतिहास(raipur history in hindi) के पन्नों में जब पुरानी बस्ती का जिक्र होता है तब टूरी हटरी बाजार का नाम आना स्वभाविक हो जाता है। इतिहासकार आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र ने बाजार का नाम टूरी हटरी रखने की वजह के बारे में बताया। आइये जानते हैं।

यह भी पढ़ें नाले के पास मिला लावारिश महिला व मासूम का शव, सुराग बताने वालों को मिलेगा इतने हजार इनाम

टूरी हटरी में पीपल पेड़

CG History : रायपुर में जब बसावट तेज हुई तो मालवीय रोड में गोलबाजार( Raipur Market) अस्तित्व में आया। यह दूसरा ऐसा बाजार है जहां लोग जन्म से लेकर मृत्यु तक के सामान खरीदने के लिए आते थे, वहीं महिलाएं-युवतियां अपने साज-श्रृंगार की सामग्री खरीदने पुरानी बस्ती में स्थित टूरी हटरी बाजार आती थीं। इलाके में 150 साल से अधिक पुराना वट वृक्ष (बरगद) आस्था का केन्द्र बिन्दु है।

यह भी पढ़ें शराब पीकर मां से की ऐसी हरकत, नाराज बेटे ने पिता को दी ये खौफनाक सजा, केस दर्ज

रौनक आज भी बरकरार

CG History : शहर के सबसे पहले टूरी हटरी बाजार( Turi Hattari Market) में हर कोने से खरीदारी करने के लिए महिलाएं-युवतियां आतीं थी। वहीं आज भी इसकी रौनक बरकरार है। सुबह से ही दुकानें सज जाती है, जो देर रात तक चलती है। फर्क सिर्फ इतना है कि स्थानीय लोगों ही अब खरीदारी के लिए आते हैं। आज भले ही इसके स्वरूप में बदलाव आया हो लेकिन लोग फिर भी इसे टूरी हटरी कहते हैं।

बच्चियां चलाती थीं बाजार

CG History : 14वीं शताब्दी के ( History Of Raipur Chhattisgarh) अंत में जब टूरी हटरी बाजार का इलाका ब्रम्हपुरी नगर के नाम से जाना जाता था। तब यहां छोटे स्तर पर बाजार लगना शुरू हुआ। पहले यहां छोटी-छोटी बच्चियां बाजार में बैठती थी, जो महिलाओं-युवतियों के साज-श्रृंगार का सामान बेचती थी। तब इस बाजार का नाम टूरी हटरी रख दिया गया। टूरी का मतलब छोटी बच्ची और हटरी का मतलब बाजार होता है।