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CG Election 2018: थप्पड़ नहीं Facebook और Whatsapp से लगता है डर

नेताओं को टिकट वितरण के पहले तक इस डायलॉग का डर सता रहा था कि कोई प्यार से पीठ में छुरा ने धोप दें। अब टिकट बदलने के बाद डायलॉग बदल गया है।

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CG Election 2018: थप्पड़ नहीं Facebook और Whatsapp से लगता है डर

रायपुर. चुनावी रण में दबंग बनाने की राह में लगे हमारे नेताओं को फिल्म दबंग का डायलॉग ‘थप्पड़ से नहीं साहब, प्यार से डर लगता है’ बहुत हद तक फीट बैठता है। नेताओं को टिकट वितरण के पहले तक इस डायलॉग का डर सता रहा था कि कोई प्यार से पीठ में छुरा ने धोप दें। अब टिकट बदलने के बाद डायलॉग बदल गया है। अब हमारे नेताजी को ‘थप्पड़ से नहीं साहब, सोशल से डर लगता है’ का भय चैन से सोने नहीं दे रहा है। नेताजी जनता की भलाई के लिए उन्हें सामग्री देने जा रहे, तो विरोधी उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट कर दे रहे हैं। अब नेताजी को इस बात की चिंता सता रही है कि यदि अभी जनता को नहीं दिया तो बाद में हम कैसे खाएंगे।

अजीबो-गरीब तर्क
टिकट वितरण के बाद सफाई देने का सिलसिला शुरू हो गया है। टिकट कटने वाले दुखी मन से कहते नजर आ रहे हैं कि हमनें पार्टी के लिए क्या नहीं किया? वहीं टिकट पाने वाले सीना चौडक़र कह रहे हैं कि पार्टी ने हमारे काम की कदर की। इन सब के बीच जब वरिष्ठ नेताओं से स्थिति नहीं संभल रही है, तो वो अजीबो-गरीब तर्क दे रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता तो यह कहते फिर रहे हैं कि जीतने वाली पार्टी को देखकर हर कोई दावेदारी कर रहे हैं। अब इनको कौन समझाएं कि आत्मविश्वास और घमंड में कितना अंतर होता है।

सोशल मीडिया की अफवाहों ने नेताओं को मुसीबत में डाला
शल मीडिया की गतिविधियां बढऩे से राजनीतिक पार्टियों की परेशानी बढ़ गई है। स्थिति यह हो गई कि राजनीतिक पार्टियां आरोप-प्रत्यारोप लगाने की जगह सोशल मीडिया में फैले भ्रम को ही दूर करने के काम में लगे हैं। वहीं कुछ नेताजी तो सोशल मीडिया की खबरों से ही खुश हो जा रहे हैं। वहीं एक नेताजी ने तो इस खबर को भुनाने के लिए नया राजनीतिक दावं खेल दिया और समर्थकों को पार्टी कार्यालय भेजकर धन्यवाद की नारेबाजी करवा दी। पहले पार्टी कार्यालय में मौजूद अन्य कार्यकर्ता समर्थकों की हरकतों को देखकर हंस रहे थे, लेकिन जैसे ही इसका पीछे का गणित उन्हें समझ में आया तो उनके भी होश गुम हो गए।