
विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के टिकट बंटवारे पर रमन को ज्यादा ‘फ्री-हैण्ड’
रायपुर. तीन राज्यों के चुनावी समर में लाख टके का दो सवाल! पहला ये कि क्या मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का डेढ़ दशक का राजनीतिक वनवास खत्म होगा? और दूसरा ये कि क्या अब तक चली आ रही परम्परा को तोडकऱ भाजपा राजस्थान में अपनी सत्ता बचा पाएगी? सवाल जितने आसान हैं, जवाब उतने ही कठिन।
तीनों राज्यों में सत्ता के दोनों प्रमुख दावेदार, भाजपा-कांग्रेस चुनावी समर के लिए कमर कस रहे हैं। लेकिन टिकट वितरण में खेमेबंदी भी साफ नजर आ रही है। इस बीच, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने साफ ऐलान कर दिया है कि पार्टी अपने सभी 90 उम्मीदवारों की घोषणा शनिवार तक कर देगी। मध्यप्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री टिकट बंटवारे को लेकर खामोश हैं। माना जा सकता है कि टिकट बांटने में जितने फ्री हैंड रमन सिंह हैं, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह शायद उतने नहीं! टिकटों की खींचतान कांग्रेस में भी कम नहीं है।
राजस्थान में गहलोत-पायलट खेमे हैं तो मध्यप्रदेश में सिंधिया-कमलनाथ गुट साफ -साफ नजर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कभी कांग्रेस के दूसरे गुट माने जाने वाले अजीत जोगी अपनी पार्टी बनाकर कांग्रेस को ही चुनौती दे रहे हैं। किस राज्य में किस दल में, किसकी चलेगी? ये सवाल नेता और कार्यकर्ताओं के साथ राजनीतिक पर्यवेक्षकों के लिए भी कौतूहल बना हुआ है।
सवाल ये भी उछल रहा है कि इनमें से कौन राहुल गांधी अथवा अमित शाह के करीब है और कौन निशाने पर। छत्तीसगढ़ में मतदान सबसे पहले है। इसलिए राजनीतिक सरगर्मी अभी वहीं अधिक देखने को मिल रही है। कांग्रेस ने गुरुवार को यहां 12 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर शुरुआत कर दी तो भाजपा के आला नेता शुक्रवार को दिल्ली में दिनभर माथापच्ची में व्यस्त रहे। पार्टी के जानकारों की मानें तो शनिवार को केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद भाजपा अपने अधिकांश नाम सार्वजनिक कर देगी।
डेढ़ दशक से यहां सत्ता पाने की जुगत में लगी कांग्रेस रविवार तक बचे 78 नामों का ऐलान कर देगी। कांग्रेस की पहली सूची आने के बाद कुछ सीटों पर विरोध के सुर सुनने को मिले। छत्तीसगढ़ के चुनावी समर को तिकोना बनाने के प्रयास में जुटे अजीत जोगी और मायावती के बीच दशहरे पर फोन पर वार्तालाप हुआ। अब तक मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने का दावा कर रहे जोगी ने मायावती से बातचीत के बाद चुनाव नहीं लडऩे के संकेत दिए। जोगी की बहू एक दिन पहले ही बसपा में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतरने का संकेत दे चुकी हैं।
मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां भी भाजपा-कांग्रेस टिकट बंटवारे के खेल में व्यस्त नजर आए। भाजपा भोपाल में पैनल को अंतिम रूप दे रही है। पच्चीस अक्टूबर तक प्रदेश नेता पैनल लेकर दिल्ली जाएंगे। इसके बाद सूची के बाहर आने की उम्मीद जताई जा रही है।
कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश के तीन दिग्गज नेताओं को सोमवार को दिल्ली बुलाया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और अजय सिंह संभावित उम्मीदवारों का पैनल लेकर केन्द्रीय नेताओं के साथ तीन दिन तक विचार-विमर्श करेंगे। यहां भी कांग्रेस 15 साल से राजनीतिक वनवास भोग रही है। नेताओं की आपसी गुटबाजी यहां तीन चुनाव से कांग्रेस की जात में सबसे बड़ी बाधा के रूप में कायम है।
दस साल तक राज्य के सीएम रहे दिग्विजय सिंह पहली बार मुख्य भूमिका में नजर नहीं आ रहे। बताया जा रहा है कि वे पर्दे के पीछे रहकर काम कर रहे हैं। एक बार भाजपा-एक बार कांग्रेस को सत्ता में लाने वाला राजस्थान भी चुनावी दावंपेच की राजनीति में उलझा हुआ है। सत्ता के दावेदार दोनों प्रमुख दल जिताऊ उम्मीदवारों की खोज में जुटे हैं।
सर्वे और रायशुमारी के आधार पर पैनल तैयार किए जा रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा रणकपुर में 102 प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर चुकी है तो शनिवार से जयपुर में बची सीटों पर मंथन शुरू होने वाला है। दिल्ली में एक बार प्रत्याशी चयन की कवायद कर चुकी कांग्रेस फिलहाल 24-25 अक्टूबर को होने वाले राहुल गांधी के दौरे की तैयारियों में जुटी है।
शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश सह-प्रभारियों ने हाड़ौती और शेखावटी में बैठकों के लंबे दौर किए। चुनाव से पहले माहौल बनाना जरूरी है, सो कांग्रेस जुटी है, राहुल की सभाओं को सफल बनाने में। तीनों राज्यों में चुनावी रंगत के हर दिन और चमकदार होने की उम्मीद है।
Published on:
20 Oct 2018 11:18 am
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