
मनीष गुप्ता@रायपुर. Chhattisgarh Assembly election 2023 : देश के रेड जोन में रहने वाले आम नागरिकों में नक्सलियों की दहशत काफूर हो रही है। बदलते हालात में लोकतंत्र विरोधी नक्सलियों का चुनाव बहिष्कार का नारा सिर्फ रस्म अदायगी रह गया है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से छह माह पहले ही नक्सलियों ने एक बार फिर यह रस्म अदायगी की है लेकिन लोग इसका विरोध कर रहे हैं। पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा के मतदान के आंकड़े भी गवाही दे रहे हैं कि नक्सली धमकियों से बेखौफ लोग खुल कर चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं और मतदान में 20% तक का इजाफा हो गया है।
शिक्षा के कारण बढ़ी जागरूकता, सुरक्षा इंतजाम व विकास कार्यों के कारण नक्सलियों की चुनाव बहिष्कार का फरमान बेअसर साबित हो रहा है। बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज बताते हैं कि बस्तर तेजी से बदल रहा है। पुलिस ने अंदरूनी इलाकों में 55 कैंप खोले हैं। सड़कों और पुलों के निर्माण से पुलिस की पहुंच अंदरूनी इलाकों तक हुई है। नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार का असर नहीं होगा। बस्तर संभाग की सभी 12 विधानसभा सीटों में से 8 सीटें अतिसंवेदनशील हैं।
देश में नक्सलवाद सिमटता जा रहा है। एक दशक पहले 10 राज्यों के 106 जिले नक्सल प्रभावित थे। केंद्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि 2018 में नक्सलवाद 90 जिलों तथा 2023 में 70 जिलों तक सिमट गया। छत्तीसगढ़ के 14 नक्सल जिलों में सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 8 रह गई है। इन्हीं जिलों में अधिकांश नक्सली घटनाएं घट रही हैं। पसरता था सन्नाटा बस्तर में कभी बहिष्कार के नक्सली पर्चों के कारण चुनावों के दौरान सन्नाटा पसर जाता था। नक्सली मतदान पर अंगुली कटाने की धमकी देते थे।
अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा के कैंप से बदले हालात
छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, तेलंगाना और बिहार में नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के 120 से अधिक कैंप खोले गए हैं। इससे नक्सलियों की कमर टूट गई है। अकेले छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षा बलों के 55 कैंप चार साल में खोले गए हैं। ओडिशा में 14, झारखंड में 28, तेलंगाना 7 स्थानों पर कैंप खुले है। इससे नक्सलियों का आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक देश के सभी नक्सल प्रभावित राज्यों में केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों की 86 बटालियन तैनात हैं।
इन इलाकों में बढ़ता गया मतदान
बस्तर संभाग में अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, नारायणपुर, कोंटा, बीजापुर,दंतेवाड़ा केशकाल एवं चित्रकोट सर्वाधिक नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें 2008 के विधानसभा चुनाव में 60.55 फीसदी, 2013 में 77.34 तथा 2018 में 80.28 फीसदी मतदान हुआ। लगभग 20 फीसदी की वृद्धि के साथ यह अब तक का सर्वाधिक मतदान है। इसके अलावा बीजापुर में 19, नारायणपुर में 14, कोंटा में 12 फीसदी मतदान बढ़ा है।
Published on:
26 Apr 2023 12:51 pm
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