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छत्तीसगढ़ में हजारों सालों से आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है यह पत्थर, पीटने पर निकलती है एेसी आवाज

हमारा देश अपने अंदर छुपे रहस्यों के कारण दुनियाभर में हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रहा है। हमारे देश में एेसे कई तथ्य पाए गए हैं जो हमेशा पृथ्वी के बाहर भी एक दुनिया के होने का प्रमाण देते आए हैं। छत्तीसगढ़ में भी एक एेसा ही रहस्य छुपा हुआ है जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र है।

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Thinthini patthar

छत्तीसगढ़ में हजारों सालों से आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है यह पत्थर, पीटने पर निकलती है एेसी आवाज

छत्तीसगढ़ की भूमि में ऐसे कई राज (Mystery) है जो हमेशा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते आए हैं। यहां के सरगुजा जिले में ऐसा ही एक आकर्षण का केन्द्र है ठिनठिनी पत्थर(Thinthini patthar) । जितना अजीब इस पत्थर का नाम है, उससे कहीं ज्यादा रोचक इस पत्थर की विशेषता है।

हमारा देश अपने अंदर छुपे रहस्यों (Mystery) के कारण दुनियाभर में हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रहा है। हमारे देश में एेसे कई तथ्य पाए गए हैं जो हमेशा पृथ्वी के बाहर भी एक दुनिया के होने का प्रमाण देते आए हैं। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भी एक एेसा ही रहस्य (Mystery) छुपा हुआ है जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र है।

सरगुजा जिले के दारिमा एयरपोर्ट के पास लगे गांव छिंदकालो में यह पत्थर मौजूद है। इस पत्थर की खासियत यह है कि इस पीटने पर कभी बर्तन के खनकने की तो कभी मधुर ध्वनि सुनाई देती है। इस पत्थर की इस विशेषता के कारण यहां के लोगों ने इस पत्थर को ठिनठिनी पत्थर (Thinthini patthar) का नाम दिया है।

रिसर्च के बाद भी नहीं सुलझा रहस्य
यह पत्थर यहां कहां से आया? और इस पत्थर से ऐसी आवाजें क्यों निकलती हैं? यह रहस्य (Mystery) सुलझाने के लिए इस पत्थर पर वैज्ञानिकों द्वारा कई रिसर्च किए जा चुके हैं। कुछ लोगों का मानना है यह आसमान से गिरा था, तो कुछ लोगों का मानना है कि यह एक उल्का पिंड का टूकड़ा है जो टूटकर धरती पर गिरा था। पर इस पत्थर के आवाज के पीछे की कहानी अब तक कोई नहीं सुलझा पाया है।

ऐसा है ठिनठिनी पत्थर (Thinthini patthar) का स्वरूप
यह ठिनठिनी पत्थर (Thinthini patthar) लगभग 5 फीट लंबा और ढाई फीट चौड़ा है। यह पत्थर रवादार और चमकदार दिखाई देता है। इसका वास्तविक नाम फोनोटिक पत्थर है।

सुरक्षित रखने की आवश्यकता
ठिनठिनी पत्थर (Thinthini patthar) अपनी खुबियों के कारण लोगों के बीच आकर्षक का केन्द्र बना हुआ है। इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और इसे दूसरे पत्थरों से पीट-पीटकर देखते हैं। इसलिए इस पत्थर में जगह-जगह गड्ढ़े हो गए हैं। ऐसे में भविष्य के लिए इस पत्थर को सुरक्षित करने की जरूरत हैं। वरना कुछ समय बाद यह पत्थर नष्ट हो जाएगा।

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