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CITY STAR: पापा करवाना चाहते थे गवर्नमेंट जॉब पर मेरा प्यार था म्यूजिक तो बना कम्पोज़र

छत्तीसगढ़ के म्यूजिक कम्पोज़र सागर बोस से बातचीत

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रायपुर: टीवी हो या एयर पोर्ट प्लेन देख कर बस उसमे उडऩे का मन करता था। बचपन से ही पाइलेट बनना चाहता था। घर में खिलौने भी हैली कॉप्टर, फाइटर जेट, ऐरोप्लेन जैसे होते हैं। ऐसा कहना है रायपुर के फेमस म्यूजिक कम्पोजर सागर बोस का।

म्यूजिक में करियर को लेकर पापा काफी अनसिक्योर थे। उनका कहना था कि गवरमेंट जॉब करो सिविल इजीनियर बनाना चाहते थे। ग्रेजूएशन के लिए बि-कॉम में एडमीशन लिया लेकिन एक साल में ही छोड़ दिया। फिर बिए म्यूजिक ऑनर से गे्रजूएट हुआ। मेरा मन नही मानता था सब कुछ छोड़ देता था लेकिन म्यूजिक से जुड़ाव रहता ही था तो फिर घर वालों ने कहा एक चांस लेलो। जिसके बाद मैने म्यूजिक में करियर बनाने उड़ान भरी।

सातवी कक्षा में स्कूल स्विच करने के बाद वहां पर म्यूजिक का माहौल बना। वहां मेरा एक खास दोस्त था विधान गोयल और सुधीर पिल्लई सर ने यहां तक पहुचने में सबसे ज्यादा मदद की। सर ने हमे बैंड प्रोवाइड करवाया जिसके बाद हमने अपना बैंड शुरू किया। इसी दौरान पायलट बन कर उडऩे का सपना म्यूजिक के साथ उडऩे में कब बदल गया पता ही नही चला। स्कूल के प्रोग्राम से मेरा नया दौर शुरू हुआ।

स्कूल के बाद मुबंई जाकर बैंड के लिए खरीददारी की, वापस आकर टीम बनाई और निकल पड़े प्रदेश भर में पहचान बनाने। इसी दौरान तकरीबन प्रदेश के सभी शहरों में कंसर्ट किए। कई कॉम्पिटीशन में पार्टीसिपेट किए कहीं हारे कहीं जीते। रायपुर, भिलाइ, बिलासपुर में सबसे ज्यादा परफॉरमेंस किए हैं हमने।

जिस टाइम हम लोग कई जगहों पर परफार्मेंस कर रहे थे उसी दौरान म्यूजिक कम्पोजिशन कई ऑफर भी मिलते थे। फ्री टाइम पर घर में ही कम्पोज करना शुरू कर दिया था। अभी तक कई सारे गवरमेंट के प्रोजक्ट पर काम कर चुका हूं। मुम्बई में कई डेली सोप, सीरियल्स के बैकग्राउंड म्यूजिक पर काम किया हूं। वहां पर कई म्यूजिक डाइरेक्टर्स के साथ अभी भी काम लाइनप है। वो काम बताते हैं मैं यहीं रायपुर से ही काम करके देता हूं।

छत्तीसगढ़ को रिप्रजेंट करना है नेशनल लेवल पर यहां के म्यूजिक के जरिए। यहां के फोक सांग, देशी गीत, अलग-अलग छत्तीसगढ़ी बोलियों पर यहीं के लोगों के साथ मिलकर उनके लिए ही काम करना है।

हमारे यहां पर पैरेंट्स पढ़ाई पर तो जोर देते हैं लेकिन अपने ही बच्चों की प्रतिभा को नजर अंदाज करते हैं। मां-बाप को अपने बच्चों पर भरोसा करना चाहिए। उन्हें कम से कम एक चांस तो देना ही चाहिए। इसके साथि ही स्कूलों में म्यूजिक, सेल्फ डिफेंस, गुड टच-बैड टच और सेक्स एडुकेशन पहली कक्षा से ही सलेबस में लाना चाहिए। जिससे अवेयरनेस बढ़ेगी बच्चों का मासिंक विकास भी होगा।