घट-बढ़ रहे हैं उम्मीदवार
राज्य निर्माण के बाद अब तक हुए विधानसभा चुनावों को देखें तो उम्मीदवारों की संख्या घटती-बढ़ती रही है। 2003 के विधानसभा चुनाव में कुल 819 उम्मीदवार थे। जबकि 2008 में 247 उम्मीदवारों का इजाफा हुआ और कुल संख्या 1066 तक पहुंच गई। 2013 में उम्मीदवारों की संख्या में पहली बार कमी हुई। इस चुनाव में 989 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। इस विधानसभा चुनाव में अबतक के सबसे अधिक 1269 उम्मीदवार अपना भाग्य अजमा रहे हैं।
ज्यादा उम्मीदवार वाली सीटों पर भाजपा का वर्चस्व
पिछले चुनाव पर नजर डालें तो 90 में से 21 विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जहां 15 या फिर उससे अधिक उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इनमें से 16 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ चार सीट कोरबा, कोटा, बिल्हा और दुर्ग शहर की आई थी। वहीं जैजैपुर सीट पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।
प्रतिद्वंद्वी का ध्यान बंटाने की रणनीति
चुनाव विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर ने कहा, ज्यादा उम्मीदवारों के चुनाव लडऩे की पीछे दो प्रमुख वजह मानी जा सकी है। पहला यह है कि कई बार प्रतिद्वंद्वी का ध्यान बंटाने के लिए मजबूत प्रत्याशी दूसरे उम्मीदवारों को खड़ा करवाता है। हालांकि सीधे मुकाबले की स्थिति में कई बार नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। दूसरी वजह यह है कि जमानत की राशि बहुत कम होती है। कुछ लोग शौकियां तौर पर और अपने नाम को चर्चा में लाने के लिए भी चुनाव मैदान में उतर जाते हैं। बहुत से उम्मीदवार सावधानी बरतने और वोट बंटाने के उद्देश्य से भी यह काम करते हैं।
भाजपा के दिग्गजों व उम्मीदवारों का गणित
उम्मीदवार | सीट | प्रत्याशी |
बृजमोहन अग्रवाल | रायपुर दक्षिण | 46 |
राजेश मूणत | रायपुर पश्चिम | 37 |
डॉ. रमन सिंह | राजनांदगांव | 30 |
धरमलाल कौशिक | बिल्हा | 29 |
गौरीशंकर अग्रवाल | कसडोल | 29 |
अमर अग्रवाल | बिलासपुर | 28 |
यह है कांग्रेस के दिग्गजों और उम्मीदवारों का गणित
उम्मीदवार | सीट | प्रत्याशी |
टी.एस. सिंहदेव | अंबिकापुर | 22 |
मोहम्मद अकबर | कवर्धा | 21 |
शिव डहरिया | आरंग | 16 |
रविंद्र चौबे | साजा | 15 |
चरणदास महंत | सक्ती | 14 |
भूपेश बघेल | पाटन | 09 |