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जिस तालाब ने नेशनल एक्सीलेंस अवॉर्ड दिलाया, उसी का सत्यानाश करने पर तुले

तेलीबांधा तालाब को गंदा कर रहा फूड जोन का कचरा

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रायपुर। तेलीबांधा तालाब की सफाई के लिए जैविक पद्धति अपनाने और एसटीपी लगवाने रायपुर को 3 साल पहले नेशनल एक्सीलेंस अवॉर्ड से नवाजा गया था। नगर निगम अब उसी तालाब का सत्यानाश करने पर तुल गया है। कमाई के चक्कर में यहां फूड जोन बनाया गया। ओपनिंग को अभी एक महीना भी नहीं हुआ है और फूड जोन का कचरा तालाब गंदा करने लगा है।

तेलीबांधा तालाब में जहां-तहां कॉफी कप, डिस्पोजल, सॉस-शुगर-चिप्स पैकेट, पानी और सोडा से लेकर शराब की बोतलें नजर आने लगी हैं। एक तरफ जहां यह तालाब की खुबसूरती पर धब्बा लगा रहा है, तो दूसरी ओर उन प्रयासों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है जिसके दम पर रायपुर को नेशनल एक्सीलेंस अवॉर्ड मिला था। दरअसल, तेलीबांधा तालाब की सफाई के लिए स्मार्ट सिटी ने जैविक पद्धति अपनाई थी। इसके तहत तालाब में सीवेज इटिंग माइक्रोब्स छोड़े गए थे जो जलीय जीव-जंतुओं और वनस्पति को खाकर समाप्त कर देते हैं। गंगा नदी में भी सफाई के लिए यही पद्धति अपनाई गई है। इसके अलावा 46 राजहंसों को भी इसी उद्देश्य से छोड़ा गया कि वे गंदगी खाकर तालाब साफ रखेंगे। जानकारों का कहना है कि फूड जोन से निकलने वाला कचरा खाकर राजहंस तो बीमार होंगे ही, सीवेज इटिंग माइक्रोब्स पर भी बुरा असर पड़ेगा।

तेलीबांधा तालाब की खुबसूरती, सुंदर व्यू समेत दूसरी खूबियों का फायदा उठाने के लिए नगर निगम यहां फूड जोन और ओपन थिएटर प्रोजेक्ट लेकर आया। बताया गया कि इससे होने वाली इंकम तालाब के रखरखाव पर खर्च की जाएगी। यानी अपने मेंटेनेंस का खर्च तालाब खुद निकाल लेगा। योजना के मुताबिक इसे 2020 की शुरुआत में ही पूरा हो जाना था, लेकिन आज ढाई साल बीतने के बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा है। इस आधे-अधूरे प्रोजेक्ट की वजह से तेलीबांधा तालाब का परिक्रमा पथ भी महीनों से बंद हैं। ऐसे में यहां आने वालों के पास घूमने के लिए सिर्फ सामने का ही स्पेस है।

पत्रिका ने जब मौके पर जाकर मामले की पड़ताल की तो पता चला कि ठेका कंपनी की लापरवाही की वजह से तालाब गंदा हो रहा है। दरअसल, स्प्री फूड लैब्स द्वारा दिनभर में इकट्ठा होने वाला कचरा फूड जोन के बगल में ही डंप कर दिया जाता है। यहां से प्लास्टिक के बोतल, कॉफी कप, खाने-पीने की चीज के पैकेट आदि उड़कर सीधे तालाब में जा रहे हैं। तस्दीक करने पर पता चला कि दिनभर में इकट्ठा होने वाला कचरा इसी जगह रखा जाता है। अगली सुबह कचरा गाड़ी आकर इसे ले जाती है। तब तक ढेर सारा कचरा तालाब में मिल चुका होता है। जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।

प्रोजेक्ट अभी आधा-अधूरा है जिस वजह से बैरीकेडिंग कर तेलीबांधा तालाब का परिक्रमा पथ बंद कर दिया गया है। फूड जोन की कमाई पर इसका कोई असर न पड़े इसलिए पीछे की ओर से सड़क में दरवाजा खोल दिया गया है। इस ओर पार्किंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है। फूड जोन आने वाले लोग सड़क पर ही गाड़ियां खड़ी कर रहे हैं और इस वजह से यहां आए दिन जाम की स्थिति बन रही है। इस मामले में जब पत्रिका ने फूड जोन के लोगों से बात की तो उनका कहना था, सामने बैरीकेडिंग की है तो इस ओर से रास्ता खोल दिया।

बता दें कि तेलीबांधा तालाब में जैविक पद्धति से सफाई के मामले ने दिल्ली का भी ध्यान अपनी ओर खिंचा। केंद्र के कई बड़े अफसर तालाब की साफ-सफाई को देखने के लिए रायपुर आए और इस काम को सराहा भी था। 2020 में केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के संयुक्त सचिव रबींद्र जोशी और इसी साल फरवरी में आवासन एवं शहरी वसिकास मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने भी तेलीबांधा तालाब की सफाई पद्धति देखकर खुशी जताते हुए इसे सबके लिए अनुकरणीय बताया था। अब तालाब की जो स्थिति हो रही है, उसके बाद यह कहना मुश्किल है कि यहां की व्यवस्था को दोबारा सराहा जाएगा।

भाजपा शासनकाल में तेलीबांधा तालाब को 30 साल की लीज पर दिया गया था। तालाब में फूड जोन खोलने के मामले में सीधे तौर पर हमारी कोई भूमिका नहीं है।
- एजाज ढेबर, महापौर, निगम