यह है पूरा मामला
18 जून साल 2014 की रात छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले अंतर्गत सुपेला के लाल बहादुर शास्त्री शासकीय अस्पताल में एक लड़की अपना इलाज कराने पहुंची। डॉक्टर गौतम पंडित ने इलाज के बहाने उसे नशे का इंजेक्शन दे दिया और उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। घटना के समय मौजूद पुलिस वाला सौरभ भक्ता भी दरिंदा निकला।
18 जून साल 2014 की रात छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले अंतर्गत सुपेला के लाल बहादुर शास्त्री शासकीय अस्पताल में एक लड़की अपना इलाज कराने पहुंची। डॉक्टर गौतम पंडित ने इलाज के बहाने उसे नशे का इंजेक्शन दे दिया और उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। घटना के समय मौजूद पुलिस वाला सौरभ भक्ता भी दरिंदा निकला।
डाक्टर जब बेहोश पीड़िता के साथ दुष्कर्म कर रहा था। तभी सौरभ भक्ता ने चुपके से उसकी वीडियो बना ली। वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर उसने अपने एक साथी चंद्रप्रकाश पांडेय के साथ मिलकर कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया।
इसी दौरान लड़की गर्भवती हो गई तो सौरभ भक्ता ने उसका अबॉर्शन कराया, जिसके बाद उसकी तबीयत खराब हो गई। जिसके कारण घटना की जानकारी उसके घरवालों को भी हो गई। जिसके बाद उन्होंने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया।
डेढ़ साल तक मुकदमा चलता रहा लेकिन उसे इन्साफ नहीं मिल पा रहा था। जिससे तंग आकर पीड़िता ने आत्महत्या कर लिया। मरने से पहले लिखे अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा की न्याय में देरी और तीनो आरोपियों के कारण वह आत्महत्या कर रही है। अब घटना के पांच साल बाद आखिरकार उसे न्याय मिल गया। न्यायलय ने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दो पुलिसकर्मियों और डॉक्टर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।