
दुर्ग . केंद्रीय जेल में पानी की किल्लत से जूझ रहे बंदियों ने जेल परिसर में ही खुदाई कर तालाब बना लिया। खुदाई के बाद अब उसे सवांरने का काम चल रहा है। जेल के 18 बंदियों ने 32 दिन में 40 फीट लंबा, 40 फीट चौड़ा और 10 फीट गहरा तालाब का निर्माण किया है। जेल में गर्मी के दिनों में पानी की सबसे अधिक किल्लत रहती है। जेल अफसरों का कहना है कि इस तालाब की खुदाई से निस्तारी की समस्या दूर होगी। भू-जल स्तर भी बढ़ेगा।
तालाब में पानी के भराव को देखते हुए अब उसे बंदियों ने सवांरने का भी बीड़ा उठाया है। तालाब में 6 फीट पानी भरा हुआ है। इसके बाद चारो ओर घाट बनाकर नारियल के पेड़ लगाए जाएंगे।तालाब पार में प्रकाश व्यवस्था के साथ बैठने के लिए कुर्सियां और सुगंधित फूलों के पौधे भी लगाए जाने की योजना है। पानी की समस्या को देखते हुए जेल के अधिकारियों ने तालाब बनाकर बारिश के पानी को सहेजने और फिर उसका उपयोग करने की योजना बनाई।
2000 बंदी है जेल में
सेंट्रल जेल दुर्ग में करीब 2000 बंदी है। इनके निस्तारी के लिए जेल परिसर में दस हजार लीटर क्षमता का एक ओवर हेड टैंक है। वहीं परिसर में छह बोर भी हैं। पीने के पानी की समस्या नहीं है पर निस्तारी की परेशानी से जूझना पड़ता है। गर्मी के दिनों में यह समस्या और बढ़ जाती है।
गर्मी में पानी की समस्या होती थी। जेल में तालाब बनाने की योजना थी। एक माह पहले कार्य को शुरू किया गया। खुदाई के दौरान आकार बड़ा हो गया। तालाब होने से ग्राउंड वाटर लेवल रिचार्ज होगा साथ ही निस्तारी के लिए पानी की समस्या नहीं होगी। शुरुआत में 18 बंदियों ने काम संभाला। बाद में अन्य बंदियों ने भी श्रमदान किया।
योगेश क्षत्रिय, जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल दुर्ग
बांध के जल स्रोत से फायदा
तालाब खुदाई करने जेल अधिकारियों ने पंद्रह दिनों तक पूरे परिसर का निरीक्षण किया। जेल से कुछ फासले पर ठंगड़ा बांध है। बांध का जल स्त्रोत जेल परिसर में होने के कारण तालाब में में पानी भरा हुआ है। बांध का स्त्रोत मिलने के कारण यह तालाब गर्मियों में भी भरा रहेगा। तालाब की सतह को बंदी समतल करना चाहते हैं, पर तालाब खाली ही नहीं हो रहा है। दिन में पानी खींचते हैं और रात भर में तालाब फिर भर जाता है।
जेल में गोशाला और घास उगाने के लिए भी पानी की जरूरत
जेल के अधिकारियों का कहना है कि जेल में निरुद्ध बंदियों के अलावा अन्य कार्य के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है। परिसर में गौ शाला है, जहां १२८ पशुधन है। पांच एकड़ खेत भी है, जहां पर दुधारु मवेशियों के लिए चारा और अन्य खेती कार्य किया जाता है। इस कार्य के लिए पानी आवश्यक है। तालाब तैयार होने से पानी की समस्या नहीं रहेगी।
Published on:
09 Jan 2018 12:18 pm
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