
Fight for rights: महिला आयोग का प्रयास रंग लाया, पति ने दिए भरण-पोषण के 5 लाख
आयोग ने महिला उत्पीडऩ से संबंधित मामलों की सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्य लक्ष्मी वर्मा तथा सरला कोसरिया ने विभिन्न प्रकरणों में समझाईश और सुलह की प्रक्रिया को अपनाया। आयोग ने कई महिलाओं के संघर्षों में न्याय दिलाने की दिशा में अहम फैसले लिए।
2006 में विवाह करने वाली महिला ने आयोग से गुहार लगाई कि उसके पति ने पांच साल से न तो उसे और न ही उनके बच्चों को भरण-पोषण दिया। पति ने तलाक लिए बिना दूसरा विवाह कर लिया है, जो कानूनन अपराध है।
एक अन्य महिला ने कहा कि आरोपी ने उसके साथ जमीन रजिस्ट्री के समय 15 लाख रुपए का भुगतान करने का वादा किया, लेकिन उसे वह राशि नहीं दी। आयोग की समझाईश पर आरोपी ने 1 महीने के भीतर 15 लाख देने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने सुलहनामा तैयार कर लिया और इस राशि के आदान-प्रदान के दिन पर हस्ताक्षर और नोटराइजेशन किया जाएगा।
एक बुजुर्ग महिला ने आयोग को बताया कि उसके भतीजे और बैंक मैनेजर ने फर्जी दस्तावेज बनाकर उसकी जमीन गिरवी रख दी और 10 लाख का लोन निकाल लिया। आयोग के हस्तक्षेप के बाद बैंक ने तत्कालीन बैंक मैनेजर और महिला के भतीजे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, जिसके चलते दोनों आरोपी जेल भेजे गए। अब बैंक ने स्पष्ट किया कि मुख्य आरोपी उग्रसेन के खाते में 11 लाख जमा हैं, लेकिन लोन खाते में ट्रांसफर नहीं किए गए हैं। महिला आयोग ने आदेश दिया कि बुजुर्ग महिला को बैंक जाकर लिखित आवेदन देना होगा, ताकि उसकी जमीन को बंधनमुक्त किया जा सके।
महिला ने आयोग को बताया कि उसकी बुआ सास के कारण उसका दाम्पत्य जीवन संकट में था। बुआ सास की वजह से उसे शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जा रही थीं और उसके बच्चों को भी उससे छीन लिया गया। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और बुआ सास को सुधारने के लिए नारी निकेतन भेजने का निर्देश दिया। इसके अलावा आयोग ने कई मामलों में दोनों पक्षों को आपसी रजामंदी से तलाक और भरण-पोषण के मुद्दों पर समझाइश दी। एक महिला ने आयोग से एकमुश्त 5 लाख भरण-पोषण राशि की मांग की जिसे आरोपी ने स्वीकार कर लिया और उसे महिला को सौंपा।
Published on:
20 Mar 2025 06:44 pm
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