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खाद्य मंत्री का बड़ा एक्शन… अधिकारियों का बदला चेहरा, सीनियर नहीं जूनियर को मिली बड़ी जिम्मेदारी

Food Minister In Action : जिलों में प्रभार सीनियर की जगह जूनियर यानि कि एएफओ को बीते चार साल से दिया जा रहा है।

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Raipur News : दस से ज्यादा जिलों में प्रभार सीनियर की जगह जूनियर यानि कि एएफओ को बीते चार साल से दिया जा रहा है। पहली विभागीय समीक्षा बैठक में खाद्य मंत्री ने इस संबंध में विभाग के सचिव और संचालक से जानकारी मांगी है। विभाग की समीक्षा बैठक में खाद्य मंत्री ने उन अधिकारियों को खड़ा होने को कहा जो सीनियर एएफओ के रहते प्रभारी खाद्य नियंत्रक बनकर बैठे हैं।

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खाद्य मंत्री ने प्रमोशन करने और जिलों में सीनियर एफओ को चार्ज देने के निर्देश दिए। नियम यह है कि खाद्य विभाग में हर साल वरिष्ठता सूची बनाई जाती है, जो पदोन्नति के लिए होती है। हर वर्ष विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक अनिवार्य है। इसके जरिए पात्र फूड अफसर को पद खाली होने पर फूड कंट्रोलर और असिस्टेंट फूड अफसर को फूड अफसर प्रमोट किया जाता है। इसके लिए लोक सेवा आयोग की बैठक में उपस्थिति अनिवार्य होती है। खाद्य संचालनालय के अधिकारियों ने यह होने नहीं दिया। फूड कंट्रोलर के प्रमोशन की फाइल डेढ़ साल से धूल खा रही है।


तीन सीनियर को किया दरकिनार

प्रदेश में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर में फूड कंट्रोलर की पोस्ट है। बस्तर जिले को छोड़ कर रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में फूड अफसर प्रभारी फूड कंट्रोलर का काम देख रहे है। राजधानी के लिए तीन वरिष्ठ फूड कंट्रोलर की पात्रता रखते हैं। एएफओ से फूड अफसर प्रमोशन नहीं किए जाने के कारण 10 से ज्यादा जिलों में जूनियर एएफओ कार्य कर रहे हैं।

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13 एएफओ का नहीं हुआ प्रमोशन

आज भी 1988 से लेकर 2014 बैच के एएफओ को प्रमोशन नहीं दिया गया है। इस बैच के 13 एएफओ फूड अफसर बनने की पात्रता रखते है, लेकिन वर्षेां से आधी-अधूरी विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक की जाती है। भाजपा के पूर्ववर्ती शासन काल में 16 फरवरी 2012 को पत्र क्रमांक 9-2/ 22011/02 जारी किया गया था, जिसमे जिलों के प्रमुख पद पर पदोन्नति न होने या देर होने की स्थिति में सीनियर अधिकारी को प्रभार देने के निर्देश दिए गए थे। इस निर्देश का पिछले पांच साल तक खाद्य विभाग में उल्लंघन हुआ है।