29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

माओवादियों ने कर दी पिता की हत्या, परिवार पालने के लिए मैदान की जगह खेतों में पसीना बहा रही ये फुटबॉल खिलाड़ी

बस्तर की आदिवासी महिला फुटबाल खिलाड़ी सरिता भास्कर जिसके पिता की माओवादियों ने हत्या कर दी थी।

3 min read
Google source verification
football player

माओवादियों ने कर दी पिता की हत्या, परिवार पालने के लिए मैदान की जगह खेतों में पसीना बहा रही ये फुटबॉल खिलाड़ी

दंतेवाड़ा. बस्तर की आदिवासी महिला फुटबाल खिलाड़ी सरिता भास्कर जिसके पिता की माओवादियों ने हत्या कर दी थी। अब खेल छोड़कर खेती किसानी कर परिवार चलाने की तैयारी में है। दरअसल घर में पुरूष सदस्य न होने का खामियाजा उठाते हुए सरिता ने खेल की बजाए खेती को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। फुटबॉल में इंटरनेशन और कबड्डी में नेशनल स्तर पर अपना जौहर दिखा चुकी सरिता ने बताया कि दो वक्त की रोटी और परिवार को पालने-पोसने की चिंता सता रही है।

पिता की हत्या के बाद उसके खिलाड़ी बनने के सपनों को काले बादलों ने घेर लिया है। वह अपने खेतों में फावड़ा चला रही है। सरिता सुब्रतो कप टूर्नामेंट में दिल्ली और कबड्डी में नेशनल स्तर पर अपना लोहा मनवा चुकी है। पिता की मौत के बाद जो हालात उपजे हैं, उससे वह टूट चुकी है। अपनी मां और छोटी बहन के साथ मैदान की तरह खेत में अपना समय व्यतीत कर रही है। मौसमी बारिश होने के बाद सरिता बागवानी लगाने की तैयारी में जुटी नजर आई।

सरिता बताती है कि 27 अप्रैल 2017 की रात उसके परिवार पर कहर बरपा गई। कुछ हथियारबंद लोग उसके घर पहुंचे व उसके पिता पर हमलाकर दिया। पिता को बचाने के लिए वह हथियाबंद लोगों से भिड़ गई। पता चला कि यह हमलावर माओवादी थे। घटना के वक्त घर पर छोटी बहन देवती भास्कर थी और मां गागड़ी। बड़ी मां किसी काम से बाहर गई थी। माओवादियों ने आंखों के सामने पिता कुम्मा भास्कर को धारदार हथियार से कई प्रहार कर मार डाला। पिता कुम्मा भास्कर ने दो शादी की थी। पहली मां से कोई संतान नहीं है। परिवार में वह और उसकी छोटी बहन के साथ दो मां है। इस परिवार को पालन-पोषण की जिम्मेदारी उसी पर आ गई है।

फुटबाल और कबड्डी में सानी नहीं

दंतेवाड़ा ब्लॉक के मोलसनार गांव की रहने वाली सरिता भास्कर फुटबॉल के साथ कबड्डी की भी बेहतर खिलाड़ी है। उसने दोनों ही टूर्नामेंट में राष्ट्रीय स्पर्धाओं में हिस्सेदारी की है। सरिता भास्कर दंश की राजधानी दिल्ली, रायुपर, अंबिकापुर और सरगुजा में मैदान में अपना प्रदर्शन दोहरा चुकी हैं। अब उसकी चाह विदेश में खेलेने की थी। जहां वह बस्तर के साथ ही राज्य व देश का रोशन करना चाहती थी, लेकिन अब उसे लगता है कि यह सिर्फ सपना ही बनकर रह जाएगा। सरिता के पिता कुम्मा भास्कर अपनी बेटी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते देखना चाहते थे। वह इसके लिए खेतों में पसीना बहाते थे। वह कहते थे बेटी नहीं उनके दो बेटे हैं। उनका यह सपना अब पूरा नहीं होगा।

पुलिस का मानना है कि कुम्मा भास्कर की हत्या माओवादी वारदात नहीं है। यह मामला अपसी रंजिश का है। करीब दो माह बीत चुका है, लेकिन पुलिस खुलासा नहीं कर सकी। इतना ही नही इस खिलाड़ी आदिवासी बेटी की सुध भी न तो जगदलपुर के प्रशासन ने की औ न ही दंतेवाड़ा प्रशसन को कोई नमाइंदा ममद के लिए पहुंचा। कुम्मा भास्कर की हत्या अभी तक पहेली बनी हुई है।

भांसी थाना प्रभारी केके वर्मा ने बताया कि कुम्मा की हत्या आपसी रंजिश में हुई है। हत्या जिस तरह की गई है वह माओवादी वारदात की ओर इशारा नहीं कर रही है। मामले की पड़ताल की जा रही है। अभी तक इस मामले में कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।

ये भी पढ़ें

image

बड़ी खबरें

View All

रायपुर

छत्तीसगढ़

ट्रेंडिंग