
Global Investors Summit Update: प्राकृतिक संसाधनों और बहुमूल्य खनिजों के विशाल भंडार के बावजूद छत्तीसगढ़ निवेशकों की पहली पसंद नहीं बन सका। सरकारी प्रयास से छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए एमओयू तो बहुत हुए, लेकिन उन्हें पूरी तरह से धरातल पर उतारा नहीं जा सका।
2001 से 2018 के बीच 3,03,115.70 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश के 211 करार हुए थे। इनमें 224339.34 करोड़ का निवेश ही नहीं हो सका। यानी सिर्फ सरकारी कागजों में निवेश के नाम पर धन बरसता रहा। छत्तीसगढ़ में पिछले 12 साल से एक भी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट नहीं हो सकी।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट की तैयारी की थी और उस समय इसमें अमेजॉन, ओला इलेक्ट्रिक, माइक्रोसॉफ्ट, डेलमान्टे जैसी कंपनियों ने रुचि दिखाई थी। 300 से ज्यादा निवेशकों ने इन्वेस्टर्स मीट में शामिल होने के लिए पंजीयन कराया था।
लेकिन सारी तैयारी कोरोना संक्रमण की वजह से धरी की धरी रह गई। इन सबके बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रमन और जोगी शासन काल के 158 एमओयू को रद्द कर दिया था। अब फिर भाजपा सरकार बनाने से निवेश की उम्मीद जगी है, क्योंकि सत्ता में आने से पहले भाजपा ने इन्वेस्टर्स समिट करने का वादा किया है।
रमन सरकार के समय वर्ष 2012 में आखरी ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट हुआ था। इस दौरान विभिन्न उद्योगों से से 275 एमओयू हुए थे। इनमें से केवल 6 एमओयू में ही उत्पादन शुरू हो सका है। 25 एमओयू में स्थल चयन की प्रक्रिया ही शुरू हो सकी थी। जबकि 103 एमओयू में कोई काम नहीं हो सका था। ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में 93 हजार 830 करोड़ 69 लाख रुपए पूंजी निवेश होना था। इनमें से वास्तविक पूंजी निवेश 2 हजार 3 करोड़ 59 लाख रुपए का हुआ था।
यहां विभिन्न नीति क्षेत्रों में रमन सरकार और भूपेश बघेल सरकार की औद्योगिक नीतियों की तुलना करने वाला एक चार्ट दिया गया है। यह चार्ट बुनियादी ढांचे के विकास, उद्योगों के लिए प्रोत्साहन, कौशल विकास, व्यापार करने में आसानी, निवेश प्रोत्साहन और पर्यावरण नीतियों के प्रति उनके दृष्टिकोण में अंतर और समानता को दर्शाता है।
छत्तीसगढ़ की सभी सरकारें उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए उद्योग नीति बनाती हैं। साथ निवेशकों को आमंत्रित किया जाता था। यही वजह है कि वर्ष 2001 से 2018 के बीच 3,03,115.70 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश के 211 करार हुए थे। इनमें वास्तविक पूंजी निवेश 78,776.36 करोड़ रुपए का हुआ।
यानी एमओयू होने के बाद भी 224339.34 करोड़ का निवेश नहीं हो सका। 18 साल में 67 एमओयू में ही उत्पादन शुरू हो सका था। 61 एमओयू में क्रियान्वयन शुरू नहीं हेा। इस दौरान हुए 55 एमओयू में कोई भी काम शुरू नहीं हो सका था। यानी वो कागजों में ही सिमट कर रह गए।
कांग्रेस सरकार ने 192 एमओयू किया, जिसमें से 9 निरस्त हो गए। 192 एमओयू से 96442.47 करोड़ रुपए का निवेश होना था। इस निवेश से प्रदेश में 1 लाख 24 हजार 336 रोजगार सृजित होना था। लेकिन निवेशकों द्वारा रुचि नहीं लेने से न तो उद्योग लग रहे हैं, रोजगार सृजित हो पा रहे हैं। प्रदेश में दिसम्बर 2023 तक सिर्फ सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की 1121 और मध्यम, वृहद उद्योग, मेगा व अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट 92 इकाई ही शुरू हो सके।
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छत्तीसगढ़ महिला उद्यामिता नीति 2023-28
ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति 2023
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छत्तीसगढ़ उद्योग लखनलाल देवांगन ने बताया, मंत्री प्रदेश की नई उद्योग नीति का पहला ड्राफ्ट 31 जुलाई को तैयार हो जाएगा। इसके आधार पर देश और विदेश के निवेशकों से संपर्क कर, उन्हें निवेश के लिए आमंत्रित करेंगे। नई उद्योग नीति का अंतिम ड्राफ्ट 1 नवम्बर को आएगा। इसके बाद छत्तीसगढ़ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट कराने की दिशा में कार्य किया जाएगा।
Updated on:
18 Jul 2024 10:50 am
Published on:
18 Jul 2024 10:49 am
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