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हरतालिका तीज 2018 : जानिए कब है पूजा का शुभ मुहूर्त और इस व्रत की पूजा विधि

इस साल हरितालिका तीज 12 सितंबर को की जाएगी। तो आइए जानते है पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में....

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हरतालिका तीज 2018 : जानिए कब है पूजा का शुभ मुहूर्त और इस व्रत की पूजा विधि

रायपुर. शादीशुदा महिलाओं के लिए हरितालिका तीज का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए माता पार्वती की पूजा करती है। जिसमें पति के लिए लंबी आयु और सौभाग्य की कामना करती हैं। इस साल हरितालिका तीज 12 सितंबर को की जाएगी। तो आइए जानते है पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में....

हरितालिका तीज भाद्रपद के शुक्लपक्ष की तीसरी तिथि को मनाई जाती है।यह तीज गणेश चतुर्थी के ठीक एक दिन पहले आती है। पंडितों के अनुसार इस साल पूजा का समय 2 घंटे 29 मिनट का रहेगा। ये शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 04 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक बताया गया है।

पंडितों ने बताया कि इस व्रत में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत की पूजा विधि ये हैं

- हरतालिका तीज प्रदोष काल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।

- हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।

- पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

- इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।

- सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है। इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है।

- यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए। इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।

- आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।

कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने और शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए इस व्रत को करती है। माना जाता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने के लिए ये व्रत किया था। इस दौरान उन्होंने अन्न और जल का त्याग था। इसलिए महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखती है।


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