
पीलिया का प्रकोप: नल के पानी को निगम बता रहा साफ, हाईकोर्ट में सुनवाई आज
रायपुर . राजधानी में पीलिया के फैले प्रकोप पर निगम अपनी गलती स्वीकार करने को तैयार नहीं है। एक तरफ उनकी ओर से हाइकोर्ट में नल के पानी को साफ बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नहरपारा प्रभावित क्षेत्र में टैंकरों से सभी घरों में पानी पहुंचाने का वीडियो कोर्ट सहित मीडिया के समक्ष भी पेश कर रहे हैं। इसी बीच निगम की ओर से पाइप लाइनों को ऊपर करने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है।
[typography_font:14pt;" >पीलिया फैलने के दौरान तो दिखावे के लिए कुछ पाइप लाइनों को ऊपर किया गया, जबकि समय बीतते ही ये सारे कार्य ठंडे बस्ते में चले गए हैं। वहीं प्रभावित क्षेत्रों में पीलिया का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है, इलाके में छुपे हुए मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। साथ ही रोजाना 50 के लगभग संभावित मरीज शिविरों में आकर जांच करा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं अकेले नहरपारा क्षेत्र में ही 130 से अधिक लोगों की पीलिया रिपोर्ट पॉजीटिव है। मार्च माह से फैली इस आपदा में अब तक ६ लोगों की जान जा चुकी है और 250 के लगभग मरीज अब भी अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं।
हाईकोर्ट की फटकार के पूर्व शासन ने पाइप लाइनों को ऊपर करने निकायों के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, जबकि कोर्ट के प्रभावित क्षेत्र को स्थानांतरित करने के आदेश के बाद उन्हें 21 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। इस पर जानकारों का कहना है कि स्वीकृति मिलने के बाद भी इस कार्य में चार से छ: माह का समय लगेगा। इस पर जिम्मेदारों का कहना है कि जल्द ही टेंडर प्रक्रिया जारी कर पाइप लाइनों को ऊपर कराने का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पर्यावरण संरक्षण मंडल ने अपनी रिपोर्ट में इ-कोलाइ होने की पुष्टि पहले ही कर दी है। साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन डिसीज कंट्रोल की रैपिड एक्शन टीम की रिपोर्ट में क्षेत्र के पानी में बैक्टीरिया होने का दावा किया है। एेसे में निगम की ओर से दिखावे के लिए महज चंद पाइप लाइनों को ऊपर किया गया है, इसके बाद भी कई जगहों पर ये नालियों के अंदर ही हैं। हालांकि 5 मई को पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा की गई नल के पानी की जांच रिपोर्ट में बैक्टीरिया की मौजूदगी नहीं मिली है। निगम की ओर से इस रिपोर्ट को सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किया जाएगा। वहीं टैंकरों के पानी की जांच रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।
पत्रिका ने शिविर में पहुंचे पीलिया पीडि़त 50 वर्षीय हिरउ राम साहू ने बताया कि वे अब भी नल के ही पानी को ही उबालकर सेवन कर रहे हैं, उन्हें निगम की ओर से कोई सूचना नहीं मिली है। जबकि निगम की ओर से कोर्ट में हलफनामा पेश कर लोगों को नल का न पीने की सूचना के लिए जगह-जगह पोस्टर चिपकाने की बात कही गई है। जबकि पत्रिका टीम के भ्रमण के दौरान एेसा कोई पोस्टर अब तक नहीं देखने को मिला, शिविरों और गलियों में लगे पोस्टर एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के हैं। जिनमें नल के पानी के गंदा होने संबंधी कोई सूचना नहीं है।
कुछ दिनों पूर्व तक निगम के अधिकारी तंग गलियों में रबर के पाइप से पानी पहुंचाने का दावा कर रहे थे, जबकि पत्रिका के शनिवार को प्रकाशित समचाार में इस दावे को खोखला साबित किया गया। जिसके बाद अधिकारी रविवार सुबह कुछ घर पहुंचे और पानी के लिए रबर के पाइपों की व्यवस्था के बारे में जानकारी ली। जिसमें लोगों ने टैंकर के बजाए नल के ही पानी पर भरोसा जताया है। जिस पर निगम के अधिकारी वापस से टैंकरों के बजाए नल के पानी से सप्लाइ पर जोर देने की बात कर रहे हैं। एेसे में अभी भी कई पाइप लाइन नालियों के अंदर हैं और इनसे कभी भी पानी के साथ कचरे के अंदर जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जोन-2 के आयुक्त विनोद देवांगन ने कहा कि लोगों ने नल के पानी को साफ बताया है। टंकी की सफाई दो वर्षों में कराई जाती है, इस क्षेत्र की टंकी की सफाई पिछले वर्ष ही कराई गई थी। अब फिर से टंकी की सफाई की तैयारी है।
नगरनिगम जलकार्य विभाग के कार्यपालन अभियंता एके माल्वे ने कहा कि नल के पानी में बैक्टीरिया की पुष्टि नहीं की गई। टैंकर सहित नल के पानी की दोबारा जांच की रिपोर्ट नकारात्मक पाई गईं हैं। इसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।
Published on:
07 May 2018 11:02 am
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