
पीलिया के 20 से अधिक मरीज गंभीर, हालात में अब भी सुधार नहीं, घरों तक नहीं पहुंच रहे टैंकर
रायपुर . राजधानी के कुछ इलाकों में फैला पीलिया थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रशासनिक लापरवाहियों से उपजी इस आपदा से शहर भर में लगभग 250 अधिक लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। वहीं नहरपारा क्षेत्र के 130 मरीजों में से लगभग 20 से अधिक में पीलिया का प्रतिशत 13 से भी अधिक है, जो कि सामान्य से कहीं ज्यादा है।
इसके बावजूद उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है।
इसी बीच निगम की ओर से 15 हजार लोगों तक पानी उपलब्ध कराने में निगम कोई खास तत्परता नहीं दिखाई जा रही है। एक स्थानीय महिला शशि साहू ने पत्रिका को बताया कि निगम ने संकरी गलियों में रहने वाले परिवारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है, उन्होंने टैंकर मुख्य सडक़ोंं पर रखे हैं, जैसे राहगीरों के लिए प्याऊ में व्यवस्था बनाई जा रही है। क्षेत्र में तीन स्थाई टैंकर लगाए गए हैं, जिनके बीच की दूरी देखकर ही लोग पानी भरने की चेष्टा नहीं कर रहे हैं। कुछ रनिंग टैंकरों की पहुंच भी सिर्फ मुख्य मार्गों तक सीमित है।
एेसे में तंग गलियों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों को टैंकरों का पानी नहीं मिल पाने की शिकायत लगातार मिल रही है। इस पर मजबूर होकर लोग नलों का पानी ही उबाल कर पी रहे हैं।
प्रायवेट प्रैक्टिशनर डॉ मनीष लूनिया ने बताया कि पीलिया का हर केस गंभीर होता है और यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। कभी-कभी 5 फीसदी वाला मरीज भी कोमा में चले जाता है और 13 फीसदी वाला ठीक हो जाता है। इनमें डॉक्टरों को गहन निरीक्षण कर उनकी स्थिति को भांपना महत्वपूर्ण होता है।
तंग गलियों में पानी की व्यवस्था बनाने के लिए निगम रबर पाइप के उपयोग का दावा कर रहा है, जबकि पत्रिका टीम की पड़ताल में इसकी पोल खुल गई। डीपी मिश्रा नामक परिवार के मुखिया ने बताया कि निगम ने इसकी व्यवस्था सिर्फ एक ही जगह (स्वास्थ्य शिविर के बाजू) में की गई है, वहां से भी कई परिवारों को पानी नहीं मिल पा रहा है। चंद मीटर की लंबाई का यह पाइप पिछले तीन दिनों से एक ही जगह के गिनती के घरों तक पानी पहुंचा पा रहा है, जबकि उस इलाके में और भी कई एेसी गलियां हैं जहां टैंकर की पहुंच नहीं हो सकती।
पी लिया की मात्रा सामान्य से कहीं ज्यादा देख पत्रिका ने निजी डॉक्टरों से इसके बारे में समझा। उनके अनुसार इसके सभी मरीज गंभीर होते हैं। कभी-कभी 5 फीसदी वाला मरीज भी कोमा में चले जाता है और 13 फीसदी वाला भी जल्द ठीक हो जाता है। इस बीमारी में मरीज की स्थिति को भांपना ज्यादा जरूरी होता है, यदि समय रहते मरीजों की स्थिति का अंदाजा नहीं लगा, तो मरीज का लीवर प्रभावित होता है, वहीं कई केस में मरीज कोमा में भी जा सकता है। एेसे मरीजों को हाइड्रेट रहने के साथ साफ पानी और भोजन, पूर्ण बेड रेस्ट और परहेज कर नियमित दवाओं का सेवन करना होता है। इनके पूर्ण इलाज में 4-8 सप्ताह का समय लगता है।
रायपुर नगर निगम के जल कार्य विभाग के कार्यपालन अभियंता एके माल्वे ने बताया कि हमने रबर के पाइपों के माध्यम से व्यवस्था करने जोन आयुक्त को निर्देशित किया था, कल फिर देखते हैं यदि कोई परिवार छूट जा रहा होगा, तो उनके लिए उचित व्यवस्था बनाई जाएगी।
पीलिया से हो रही मौत पर कोरबा में गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने विवादित ब्यान दिया है। उन्होंने कहा कि मौत तो होती रहती है। यह स्वाभाविक है। पीलिया भी एक बीमारी है। यह पूछे जाने पर कि पीलिया प्रदूषित पानी से हो रहा है तो उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है।
पीलिया प्रदूषित पानी से हो रहा है या नहीं, इसकी जांच स्वास्थ्य विभाग करेगा। गृहमंत्री रामसेवक पैकरा शनिवार को एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने कोरबा पहुंचे थे। सीएसईबी के पंचवटी विश्राम गृह में मीडिया से चर्चा के दौरान यह पूछे जाने पर कि 14 साल में प्रदेश की भाजपा सरकार ने चौतरफा विकास किया है तो विकास यात्रा निकालकर बताने की जरूरत क्यों पड़ रही है? तो मंत्री ने कहा कि हम जो भी काम करेंगे जनता को बताना पड़ेगा।
बालकोनगर थानेदार की शिकायत : पैकरा से बालकोनगर भाजपा मंडल के कार्यकर्ताओं ने थानेदार प्रमोद सिंह की शिकायत की। उनका अभद्र व्यवहार करने का आरोप है। मंडल के पदाधिकारियों ने थानेदार को हटाने की मांग की।बताया कि कुछ माह पहले थानेदार ने गाड़ी पार्किंग करने पर मंडल की एक कार्यकर्ता के पुत्र से अभद्र व्यवहार किया था।
Published on:
06 May 2018 09:01 am
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