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रायपुर/बिलासपुर. रायपुर के पीलिया प्रभावित क्षेत्र नहरपारा के रहवासियों को 48 घंटे में शिफ्ट करने के अपने आदेश को जस्टिस टीबी राधाकृष्णन एवं जस्टिस शरद कुमार गुप्ता की युगलपीठ ने बुधवार को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
शाम 4 बजे युगलपीठ एक बार फिर मामले की सुनवाई के लिए बैठी तो आयुक्त ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि मोवा क्षेत्र में रहवासियों की संख्या 2 लाख के आसपास है। इन लोगों के पीने के पानी की समुचित व्यवस्था के लिए शाम ४ बजे तक क्षेत्र में 25 टैंकरों की तैनाती की गई है। ३ हजार लीटर के ये टैंकर क्षेत्र के तीन स्थलों पर 24 घंटे तैनात रहेंगे। नगर निगम आयुक्त के जवाब से संतुष्ट होने के बाद कोर्ट ने मंगलवार के अपने आदेश पर फिलहाल रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई गुरुवार को किए जाने के आदेश दिए हैं।
राजधानी के मोवा नहरपारा के लोगों ने किया विरोध
राजधानी के पीलिया प्रभावित क्षेत्र के लोगों का निगम प्रशासन से भरोसा उठ गया है। इसी वजह से बुधवार को पीलिया प्रभावित क्षेत्र मोवा नहरपारा के पीडि़तों ने नगर निगम के शिविर में शिफ्ट होने से इंकार कर दिया। प्रभावितों ने तल्ख लहजे में कहा कि शासन-प्रशासन उनके रहने, खाने व इलाज के पुख्ता बंदोबस्त नहीं कर सकता।
उन्होंने सवाल उठाया कि निगम के जिम्मेदार जब दो महीनों में इस आपदा पर नियंत्रण नहीं कर सके, तो अब उनके शिविर में राहत मिलने की क्या गारंटी है? वहीं, हाइकोर्ट के आदेश के 24 घंटे बीत जाने के बावजूद निगम की ओर से शिफ्टिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं बनाई है। खानापूर्ति के तौर पर उसी इलाके में स्थित छोटे से सामुदायिक भवन में प्रभावित इलाके के 15 हजार लोगों को रखने की व्यवस्था की गई। यही नहीं, निगम की ओर से कोई भी अधिकारी आदेश के बाद से एक बार भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा तक नहीं किया।
पत्रिका की टीम से चर्चा में स्थानीय पार्षद अनवर हुसैन ने स्वास्थ्य शिविर में मौजूद प्रभावितों के बीच पीलिया के लिए चिकित्सकीय इलाज के बजाए झाड़-फूंक कराने की सिफारिश की। उन्होंने दावा किया कि इसी वार्ड में एेसे बैगा हैं, जो कि तीन से चार दिनों में ही झाड़-फूंक से पीलिया का इलाज कर देते हैं।
जवाब : 55 मीटर की जो पाइपलाइन है, उसे नाली से बाहर कर दिया गया है। बाकी लाइनों को भी बाहर करवाया जा रहा है।
Published on:
04 May 2018 12:01 pm
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