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खुदाई के दौरान कलचुरी काल के दुर्लभ सिक्कों से भरा हुआ मटका मिला, पुरातत्व विभाग कर रहा था उत्खनन

राजधानी से 28 किमी दूर रीवा में पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग द्वारा 2018-19 में करीब 60 एकड़ जमीन पर प्राचीन सभ्यता से संबंधित और ऐतिहासिक धरोहर की खोज के लिए उत्खनन शुरु किया था।

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खुदाई के दौरान कलचुरी काल के दुर्लभ सिक्कों से भरा हुआ मटका मिला, पुरातत्व विभाग कर रहा था उत्खनन

रायपुर. राजधानी से 28 किमी दूर रीवा में पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग द्वारा 2018-19 में करीब 60 एकड़ जमीन पर प्राचीन सभ्यता से संबंधित और ऐतिहासिक धरोहर की खोज के लिए उत्खनन शुरु किया था। उत्खनन के शुरुवात में ही कुषाण काल, कलचुरी व पांडुवंशीय पुराने धरोहर मिलने लगे। उत्खनन स्थल में लगभग 6वीं सदी के प्रशासनिक व व्यापारिक स्थल के रुप में विकसित है।

खुदाई में टेराकोटा रिंग वैल मिला
कुएं निर्माण में लगाया गया रिंग वैल खुदाई के दौरान मिला , कुषाण काल में इस तरह के कुएं का निर्माण पानी पीने, शस्त्र , बेशकीमती समान छिपाने के साथ-साथ सुरंग के रूप में खुद को छिपाने के लिए भी किया करते थे। अभी कुएं का उपयोग किस कारण से किया गया है, इसपर अभी शोध चल रहा है।

दस हजार साल पुराना हाथी का जबड़ा
उत्खननकर्ता निदेशक पद्मश्री डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने बताया उत्खनन के दौरान कई ऐसे पात्र व हाथी का अवशेष मिला है, अगर हाथी का जबड़ा की बात करे तो, करीब दस हजार साल पुराना है, जो पत्थर बन चुके हैं। ऐसे ही एक धातु गलाने का पात्र करीब दो हजार साल पुराना है।

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सिक्कों से भरा मटका मिला
सह उत्खनन निदेशक विरिशोत्तन साहु ने बताया रीवा में उत्खनन के दौरान एक ग्रामीण ने 12वीं सदी का कलचुरी काल का सिक्कों से भरा मटका लाकर दिया। खुदाई में कुषाण काल के सौ सिक्कों के साथ कर्मादित्य चित्र बना सिक्का भी प्राप्त हुआ है। रीवा में सौ एकड़ में फैला तालाब में नहाने से सफेद दाग व कई प्रकार की बीमारी ठीक हो जाती है। ग्रामीण बताते है, ये तालाब हमारे गांव के धरोहर के रुप में है। इस तालाब में नहाने से चर्म रोग संबंधित बिमारी पूरी तरह ठीक जाता है।

पुरातत्व एवं संस्कृति के उप संचालक जेआर भगत ने कहा, 2021-22 उत्खनन का प्रस्ताव बनाकर केन्द्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा गया है, जैसे ही अनुमति मिलती है, फिर से रिवा का उत्खनन शुरु करेगे।

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(दिनेश यदु की रिपोर्ट)