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भारत अब हमारा देश है हम यहीं रहना चाहते है बस हमें कोई पाकिस्तानी न कहें, छलका विस्थापित हिन्दुओं का दर्द

locationरायपुरPublished: Sep 15, 2019 09:37:55 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

आज छत्तीसगढ़ की राजधानी में लगभग 1000 ऐसे पाकिस्तानी हिंदू परिवार रह रहे हैं, जो कई सालों से भारत की नागरिकता लेकर यहीं बस जाने का फैसला कर चुके हैं।

भारत अब हमारा देश है हम यहीं रहना चाहते है बस हमें कोई पाकिस्तानी न कहें, छलका विस्थापित हिन्दुओं का दर्द

भारत अब हमारा देश है हम यहीं रहना चाहते है बस हमें कोई पाकिस्तानी न कहें, छलका विस्थापित हिन्दुओं का दर्द

रायपुर. राजधानी के शदाणी दरबार इलाके में जब आप जायेंगे तो वहां आपको पाकिस्तान के सिंध प्रांत की झलक मिलेगी यहाँ वह लोग बसे हुए हैं जो पाकिस्तान के जुलमों सितम से परेशान होकर अपनी लाखों की संपति को कौडिय़ों के भाव बेचकर भारत आ गए 2015 में 51 लोगों को तो जैसे तैसे नागरिकता मिल गई लेकिन ऐसे लोगों की तादात हजारों में है जो नागरिकता का इन्तजार कर रहे हैं ।

आज छत्तीसगढ़ की राजधानी में लगभग 1000 ऐसे पाकिस्तानी हिंदू परिवार रह रहे हैं, जो कई सालों से भारत की नागरिकता लेकर यहीं बस जाने का फैसला कर चुके हैं। इसी परिवार में से एक परिवार है मनोहर लाल का, यह मनोहर लाल दूसरे हैं । मनोहर लाल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रईस परिवार में से थे।
साल 2012 में उनकी नातिन रिंकल कुमारी के अपहरण के बाद उनकी जिंदगी बिखर सी गई। उन्होनें पाकिस्तानी अदालत में भी नातिन का अपहरण कर जबरन शादी कर उसे मुस्लिम बनाने के मामले में न्याय की गुहार लगाई, लेकिन न्याय मिलने की जगह उन्हें देश ही छोडऩा पड़ा। पिछले कई सालों से मनोहर लाल का परिवार रायपुर में रह रहा है और काफी गरीबी भरा जीवन जी रहा है।
परिवार के लोगों का कहना है कि अब उनकी एक ही चाह है कि भारत सरकार उन्हें देश की नागरिकता देदे, जिससे वह हिंदूस्तान की खुली हवा में स्वतंत्रता पूर्वक जीवन जी सकें। मनोहर लाल से जब इस बारे में बात की गई तो उनके आखों से रिंकल कुमारी का दर्द साफ दिख रहा था। उन्होंने बताया कि उनके बेटे यानि रिंकल कुमारी के मामा राज कुमार ने रिंकल का अपहरण कर उसका धर्म परिवर्तन कराने के मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
इस पर सिंध हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस मुशीर आलम ने रिंकल कुमारी को 12 मार्च को अदालत में पेश होने का आदेश दिया। सिंध हाई कोर्ट में रिंकल के मामा राज कुमार ने याचिका दायर एक आरोप लगाया है कि उनकी भांजी का अपहरण कर उसकी जबरन शादी कर दी गई है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि रिंकल को अदालत में पेश किया जाए और सरकार की निगरानी में चलाए जा रहे केंद्र में रखा जाए ताकि उनके जीवन को खतरा न हो।
राज कुमार की वकील नूर नाज आगा ने अदालत को यह भी बताया कि जिला घोटकी के शहर मीरपुर माथेलो से 24 फरवरी 2012 को 17 वर्षीय रिंकल कुमारी को नवीद शाह नामक स्थानीय युवक ने अपने साथियों के साथ अगवा किया था। दूसरे दिन पुलिस ने अभियुक्त नवीद शाह और रिंकल कुमारी को स्थानीय अदालत में पेश किया और उनको सरकार की निगरानी में चल रहे केंद्रों में भेजने की याचिका रद्द कर उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। इसके बाद तो पूरे परिवार को डराया और सताया जाने लगा। परिवार को जब अपनी दूसरी बहू बेटियों का डर सताने लगा तो वह लोग पाकिस्तान छोड़कर भारत में बस गए। वर्तमान में वह किसी तरह मेहनत मजदूरी करके रोजी रोटी कमा रहे हैं।

दीर्घकालिक वीजा लेकर रह रहे पाकिस्तानी हिंदू

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए लोगों को पांच वर्ष का दीर्घकालिक वीजा देने की घोषणा 16 दिसंबर 2014 से की है। इससे पहले उन्हें यह वीजा एक वर्ष का दिया जाता था। इस नियम के बाद पाकिस्तान से आकर छत्तीसगढ़ में रहे रहे हिंदुओं को काफी राहत मिली है। वह लोग दीर्घकालिक वीजा का आवेदन करके यहां व्यवसाय कर रहे हैं। कई सालों से वह लोग नागरिकता के लिए आवेदन देकर यही सपना देख रहे हैं कि कब उन्हें भारत की नागरिकता मिले और वह हिंदुस्तानी कहला सकें।
पाकिस्तान का लखपति भारत आकर तंगहाल जीवन बसर कर रहा है। यह लोग कहते हैं कि भारत हमें सुरक्षित लगता है इस कारण हम लोग यहां बसना चाह रहे है। लेकिन पाकिस्तानी होने का दर्द हमारे जख्मों को ताजा कर देता है। हमे बच्चों के स्कूल, कॉलेज में दाखिला से लेकर शादी में भी दिक्कते आ रही है।

पत्रिका एक्सपोज की टीम ने इनके हालात को जानने की कोशिश की

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जिला घोटकी के घड़ी चाकर, जरवाह, खानपुर, महर, पनवाकिल मीरपुर माथेलो, डेरकी कुपाडो, कशमोर रोठी से भारत के कई राज्यों में लाखों पाकिस्तानी बस गए है। 30 साल से अधिक हो गए लेकिन कुछ मुट्ठी भर लोगों को ही भारत की नागरिकता मिल पाई है, लेकिन सैकड़ों ऐसे है जिनकों आज भी भारत की नागरिकता नहीं मिली है ।
वे आज मानसिक और शारीरिक बदहाली से गुजर रहे है। रायपुर में तकरीबन एक हजार परिवार पाकिस्तान के विभिन्न इलाकों से आए है जिन्हें रायपुर में रहते ही 15 साल से अधिक हो गए है लेकिन इनमें से सिर्फ 30 फीसदी लोगों को ही भारत की नागरिकता मिल पाई है।
धमतरी रोड स्थित शदाणी दरबार के पास पाकिस्तान से आये हिन्दुओं का रहवास है यहाँ पर रहे कुछ लोगों ने दरबार को अपना परिवार बताते हुए कहा कि संत युधिष्ठर लाल जी हमारे सरंक्षक हैं। उनके आशीर्वाद से हम जीवन बसर कर रहे हैं। हमारे नारकीय जीवन से उन्होंने आजादी दिलाई है। भारत हमारा देश है अब हम यहीं रहना चाहते है बस हमें कोई पाकिस्तानी न कहें…
भारत अब हमारा देश है हम यहीं रहना चाहते है बस हमें कोई पाकिस्तानी न कहें, छलका विस्थापित हिन्दुओं का दर्द

मोवा में रहने वाले 59 साल के मनोहर लाल ने बताया कि मेरे तीनों भाई भारत आ गए तो मेरा भी पाकिस्तान में मन नहीं लगा फिर क्या था मैं भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जिला घोटकी के मीरपुर माथेलो से 27 जुलाई 2007 को अपने परिवार के 8 सदस्यों के साथ रायपुर आ गया।

मनोहर लाल कहते है- “मैं 59 साल का हूं बारह साल हो गए मुझे रायपुर में रहते हुए। मेरी पत्नी चार बेटे, एक बेटी और एक बहु है हम आठ लोग पाकिस्तान छोड़कर यहां आ गए। आज 12 साल निकल गए लेकिन हम आठ लोगों में से केवल मुझे ही भारत की नागरिकता मिली है। हमारी पहचान आज भी पाकिस्तान से आए लोगों के रूप में होती है ये चीज हमें अंदर तक दुखी कर देती है”

मनोहर बताते हैं कि भारत आने के पहले साल 2007 में ही मेरे जीजाजी की 23 साल की बेटी को पाकिस्तानी मुिस्लम घर से उठा कर ले गए। पाकिस्तान में जबरदस्ती हिंदुओं को मुस्लिम बनाया जाता है। हमारी बेटियों को पाकिस्तानी मुस्लिम घर से उठाकर ले जाते हैं उनका जुलुस निकालते है। हम विरोध करें तो कहते है कि चुप रहों नहीं तो तुम्हें जान से हाथ धोना पड़ेगा। हमारी कहीं सुनवाई नहीं। इस डर के कारण मेरे सारे भाई भारत आ गए।

मनोहर लाल के बड़े भाई वाशाराम और इनकी पत्नी सावित्री साल 2004 में अपने 3 बेटे और 2 बेटियों के साथ रायपुर आ गए थे। वाशाराम के बेटे किरण कुमार अपनी कहानी सुनाते हुए बेहद भावुक हो गए अपने दर्द को बताते हुए कहने लगे कि पाकिस्तान में तो हिंदुओं को पकड़-पकड़ कर मुस्लिम बनाया जाता है।

बेटियों को घर से उठाकर ले जाते है। हम विरोध करें तो कहते है कि जान प्यारी है तो चुप रहो तुम्हारे घर से दूसरी लड़की को भी उठा कर ले जाएंगे। हमारी कहीं सुनवाई भी नहीं है। वहां हिंदुओं के साथ लूटपाट, ज्यादती तो आम बात है सुकुन से रहने के लिए पाकिस्तान का माहौल नहीं है इस कारण ही तो हम लोग भारत आए।

यहां हमारे गुरु का दरबार है इस कारण हम यहां अपने गुरु की शरण में आ गए। हम पांच लोगों का परिवार 2004 में रायपुर आ गया। हम लोगों को भारत की नागरिकता मिल गई है, लेकिन हमारे सारे लोगों को खास कर जो 20 साल से यहां रह रहे है उनकों तो भारत की नागरिकता मिलना चाहिए।

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कहानी देवरानी जेठानी की

सिंध प्रांत के जिला घोटकी के मीरपुर माथेलो से 10 साल पहले रायपुर आई अमृता शदाणी ने बताया कि वहां माहौल ठीक नहीं था। हमारी बेटिया वहां सुरक्षित नहीं थी। हम तो वहीं बड़े हुए लेकिन वहां बच्चों की पढ़ाई की कोई सहीं व्यवस्था नहीं थी। लड़कियों को आजादी नहीं दे सकते थे क्योंकि माहौल ठीक नहीं था।

इस कारण हम रायपुर आ गए। मेरी जेठानी 7 माह पहले ही यहां आई है। जेठानी दीपा शदाणी ने बताया कि मेरे तीन बच्चे है कुछ दिन बाद हमारा पूरा परिवार यहां आ जाएगा। हम शदाणी दरबार की बहुएं है हमारे ससुर जी भी मीरपुर माथेलो में शदाणी दरबार के सेवादारी है।

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12 साल से कंधे पर दुकान सजाकर कर रहे परिवार का पालन पोषण

पूरनलाल शेरवानी 12 साल पहले सिंध प्रांत के जरवाह से आए थे। उनके 4 भाई उनके आने के पहले ही रायपुर आ गए थे। पूरनलाल पाकिस्तान में अकेले पड़ गए। दहशत के कारण उन्होंने वहां अपना सब कुछ औने-पौने दाम में बेचकर भारत की शरण ली। रायपुर आकर कंधे पर बेकरी की दुकान सजाकर अपने परिवार का पालन पोषण करने लगे।

पांच लोगों के परिवार का खर्चा निकल जाता था। एक बच्ची की शादी हो चुकी है जिसमें शदाणी दरबार का पूरा सहयोग रहा। पूरनलाल कहते है कि हमे 12 साल हो गए लेकिन भारत की नागरिकता नहीं मिली, लेकिन हम यहां आकर खुश है हम लोगों को यहां सुकुन की दो रोटी मिल रही है मेहनत कर अपना गुजारा कर रहे है। हम भी चाहते है कि हिंदुस्तानी कहलाएं जाए ना कि पाकिस्तान से आए लोग।

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पंडरी में आलू भजिए का ठेला लगाते है

सुरेश कुमार 10 साल पहले सिंध प्रांत के मीरपुर माथेलो से रायपुर आ गए थे। उनके तीन बेटे और एक बेटी है। दो बेटे और बेटी रायपुर में ही रहते है, सुरेश कुमार का बड़ा बेटा पाकिस्तान में ही रहता है वे वहां बी जाते है। बड़ा बेटा वहां दगबार में सेवा देता है। वो वहीं रहना चाहता है, जबकि उनके सारे बच्चे रायपुर आ गए है।

माहौल ठीक नहीं होने के कारण ही वे यहां बस गए। रायपुर में बड़ा बेटा मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान खोला है और छोटे बेटे ने आलू भजिए का ठेला खोला है। रायपुर आने पर हालात ठीक नहीं थे जैसे तैसे काम शुरू किया और आज भी संघर्ष कर रहे है। पाकिस्तानी होने का दर्द उनके आगे बढऩे में बाधा बनता है।

ऐसे मामलों को इंटेलिजेंस विभाग देखता है। वहीं से जानकारी लेकर कुछ बता पाऊंगा। फिलहाल जो भी होगा वह नियमानुसार ही किया जाएगा।
-डीएम अवस्थी, डीजी, छत्तीसगढ़ शासन

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