
रायपुर। नाते-रिश्तेदार या पारा-पड़ोसी में किसी जवान की मौत हो जाए तो लोग भगवान को कोसने लगते हैं। बुजुर्ग कहते हैं कि उसकी जगह मैं ही चला जाता। अरे भई! किसी और के कर्म कोई और कैसे भुगत सकता है। जरूरी नहीं कि उसने बुरे कर्म इसी जन्म में किए हों। पूर्व जन्म में किए कर्मों का फल भी इसी जन्म में भोगना पड़ता है। इसीलिए किसी के साथ कुछ बुरा हो तो भगवान को कोसने की जरूरत नहीं है। कथा के अंतिम दिन रविवार को सुबह 10 बजे से 1 बजे तक कथा होगी।
गुढ़ियारी के दही हांडी मैदान में चल रही शिव महापुराण कथा में शनिवार को पं. प्रदीप मिश्रा ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि जब पाप चारों तरफ बढ़ जाता है। पापाचार, अत्याचार, अनाचार, हाहाकार मच जाता है तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं। इसलिए आप सभी भक्तों को मन से और दिल से भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। शिव महापुराण कथा के शुभारंभ अवसर पर पहुंचे मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद सरोज पांडे ने कहा कि यह हमारे लिए और यहां पर मौजूद सभी भक्तों के लिए और प्रदेश की जनता के लिए किस्मत की बात है कि शिव महापुराण की कथा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हो रही है। शिव महापुराण कथा के चौथे दिन राज्यसभा सांसद सरोज पांडे, मंत्री रविंद्र चौबे, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, विधायक बृजमोहन अग्रवाल, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, पूर्व मंत्री केदार कश्यप, आयोजक बसंत अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
कथा सुनने आधी रात से ही दही हांडी मैदान फुल
शिव महापुराण कथा सुनने लोगों में कितना उत्साह है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दही हांडी मैदान शनिवार की रात ही लोगों की भीड़ से भर गया था। मिली जानकारी के मुताबिक यहां 50 हजार से ज्यादा लोग जुट गए थे। इनका कहना है कि अब तो अंतिम दिवस की कथा सुनने के बाद ही घर जाएंगे। इधर, आयोजन समिति ने रात में ही लोगों को भोजन आदि की व्यवस्था की। गौरतलब है कि शनिवार की सुबह भी दही हांडी मैदान में भक्तों की इतनी भीड़ हो गई थी कि तीन से चार घंटे तक धक्के खाने के बाद भी लोगों को बाहर से लौटना पड़ा।
भगवान आपको साक्षात दर्शन नहीं देंगे, परिचित का भेष धरकर आएंगे
84 लाख में अंतिम योनि है मनुष्य
पंडित मिश्रा ने बताया कि हमें यह मनुष्य तन बड़े ही कष्टों के बाद मिला है। मनुष्य शरीर मिलने के बाद हमने पहले के योनियो में जो कर्म किये हैं, उन कर्मों का भोग मनुष्य रूपी शरीर में ही भोगना होगा। वही कर्मों के लेख को भगवान की सेवा, अर्चना करके काटना भी है। इसलिए मनुष्य योनि मिला है तो हमें सतकर्म पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। मनुष्य के सतकर्म से यह निश्चित है कि देवाधिदेव महादेव का आशीर्वाद जरूर मिलेगा। भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना और उपवास के साथ एक लोटा जल और बेलपत्र कि इतनी महिमा है कि भगवान भोलेनाथ सभी को वरदान दे रहे हैं। जो पत्र छत्तीसगढ़ में शिव महापुराण की कथा के दौरान हमारे सामने आया है, उसमें यही भाव भरा है कि भगवान भोलेनाथ ने उन सभी की कामना पूरी की है। वैसे ही आप सभी भक्तों की कामना मेरे शिव पूरा करें।
भक्तों की रक्षा के लिए भगवान स्वयं अपने स्वरूप मे नहीं आते। भक्तों के संकट को काटने के लिए किसी ना किसी अपने के रूप में आते हैं। आप भगवान की भक्ति पूजा आराधना मन से कर रहे हैं तो आप के संकट को दूर करने के लिए भगवान जरूर आपका साथ देंगे, चाहे वह स्वरूप किसी भी का हो। देवर्षि नारद जी सभी के अंदर भगवान राम को देखते थे। उसी समय दो बैल लड़ते हुए सामने से आ रहे थे। एक बच्चे ने नारद जी को सचेत किया कि सामने से बैल लड़ते आ रहे हैं। सावधान रहें।
नारद जी नहीं माने। उन्होंने कहा कि मैं तो सभी में राम देखता हूं। वह बैल कुछ नहीं करेंगा। बैल आया और नारद जी को उठाकर पटक दिया। तब नारद वहां से जाकर रामायण की चौपाई बदलने लगे। हनुमान ने पूछा कि आप चौपाई क्यों बदल रहे हैं? तब नारद ने बताया कि मैं सभी में राम देखता था पर बैल ने मुझे पटक दिया। मतलब उसमें राम नहीं हैं। तब हनुमानजी ने कहा कि छोटे बच्चे ने आपको सचेत किया था तो क्या आपने उसमें राम नहीं देखा।
Published on:
13 Nov 2022 12:07 pm
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