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कोरोना काल में तीर्थ यात्रा पर रोक, पुरुषोत्तम मास में विशेष लाभ लेने श्रद्धालुओं ने किया प्राचीन मंदिरों का रुख

- कोरोनाकाल (Corona period) के कारण तीर्थ यात्राएं (Pilgrimage) बंद- पुरुषोत्तम मास (Purushottam Maas) में प्राचीन मंदिरों में भक्तों का लगा तांता - भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को करना होता कोविड के शर्तों का पालन

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रायपुर. पुरुषोत्तम मास (Purushottam Maas) में चारों धाम की तीर्थयात्रा और पूजा-पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है। लेकिन, इस बार कोरोनाकाल के कारण तीर्थ यात्राएं बंद (Ban on pilgrimage) हैं। ऐसी स्थिति में शहर के प्राचीन मंदिरों में भक्तों का तांता लगने लगा है।

उन्हें गेट पर पहुंचते ही सेनिटाइज और थर्मल स्क्रीनिंग जांच के बाद बारी-बारी से दर्शन करने के लिए मंदिरों में प्रवेश दिया जाता है। इस दौरान मास्क को अनिवार्य रखा है। पुजारी भगवान का अभिषेक, श्रृंगार और आरती कर रहे हैं, तो भक्त भगवान के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। पुजारियों का कहना है कि पुरुषोत्तम मास का समापन 16 अक्टूबर को होगा।

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शहर के प्राचीन महामाया मंदिर, बुढ़ेश्वर महादेव, नरहरेश्वर महादेव, महादेवघाट में हटकेश्वर महादेव मंदिर में जहां भक्तों का तांता रहा। वहीं राधाकृष्ण मंदिरों में भी श्रद्धालु सोशल डिस्टेसिंग के साथ दर्शन-पूजा किए। जवाहर नगर स्थित राधाकृष्ण मंदिर में पुजारी मलैया महाराज ने जुगड़ जोड़ी सरकार का दुग्धाभिषेक कर पुष्प-फलों से शृंगार किया जाता है, इसके बाद बारी-बारी से भक्त दर्शन करते हैं। गेट पर पहुंचते ही सेनिटाइज करने के बाद ही मंदिरों में प्रवेश मिल रहा है। चूंकि कोरोनाकाल के कारण तीर्थ यात्राएं बंद है, इसलिए लोग अपने शहर में ही प्रमुख मंदिरों में भगवान का दर्शन-पूजन करना अच्छा मान रहे हैं।

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अभी पुष्प-फल चढ़ाने पर रोक
महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ल ने बताया कि 16 अक्टूबर को पुरुषोत्तम मास का समापन होगा और नवरात्रि पर्व 17 अक्टूबर से प्रारंभ होगा। गेट पर सबसे पहले मास्क और सेनिटाइज करने के बाद ही श्रद्धालुओं को दर्शन करने दिया जा रहा है। परंतु फल-पुष्प, नारियल चढ़ाने पर अभी भी रोक है। मास्क नहीं तो भगवान के दर्शन भी नहीं की शर्त का पालन भी कराया जाता है। सुबह की आरती के बाद मंदिर भक्तों के लिए खुलता हे और शाम की आरती से पहले गेट बंद कर दिया जाता है।