
@ताबीर हुसैन.. सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति को हर वह चीज हासिल हो सकती है, जिसकी वह कामना करता है। बशर्ते उसके इरादे मजबूत और सपने को हासिल करने की ललक हो। अंजली सिंह चौहान इसका उदाहरण हैं। अंजली कहती हैं कि तलाक के बाद मैं डिप्रेशन में चली गई थी। आलम यह था कि मुझे बिना गोली खाए नींद नहीं आती थी। लेेकिन मन के किसी कोने में यह बात भी थी कि इस जीवन को यूं ही नहीं बिताना है। परिवार ने भी साथ दिया।
मैंने इलाज कराया और ठीक होने के बाद फिल्मों में वापसी की। इन दिनों अंजली कैरेक्टर आर्टिस्ट के तौर पर कई फिल्में कर रही हैं। बचपन के दिनों को याद करते हुए अंजली कहती हैं कि आठवीं में डांस करने लगी थी। किसी ने देखा तो लोकमंच संस्था को बता दिया। उन्होंने घर आकर मम्मी-पापा से बात की और स्टेज पर ले जाने लगे। उसके बाद धीरे धीरे यहीं से मेरी कला को समर्पित यात्रा शुरू हो गई।
वह बताती हैं कि किसी तरह जिंदगी पटरी पर लौटने लगी। फिल्म मेकर भूपेंद्र व मिथिलेश साहू ने छत्तीसगढ़ी फिल्म दइहान के लिए बुलाया। पहले तो मैंने उन्हें मना कर दिया लेकिन भीतर से आवाज आई कि इसी दिन के लिए तो मैं जी रही थी। मैंने उन्हें हां कहा और अभिनय की दुनिया में मेरी वापसी हो गई। अभिनय से फिर से जुड़ना मेरे जीवन को एक नई दिशा देने जैसा रहा।
अंजली कहती हैं कि वर्ष 2003 में मैंने लोकमंच संस्था छोड़ दी और लोकगीतों के एल्बम करने लगी। इसके बाद बतौर लीड छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कारी’ का ऑफर मिला। इस फिल्म के बाद मेरी शादी हो गई। ससुराल वाले इस पक्ष में नहीं थे कि मैं फिल्में करूं। मैंने भी उनकी बात स्वीकार कर ली और गृहस्थी में रम गई। हालात ऐसे बने कि कुछ साल में ही तलाक हो गया। पर परिवार ने मुझे संभाला।
Published on:
05 May 2024 06:50 pm
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