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गंभीर-अतिगंभीर मरीजों को ही रेमडेसिविर, हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से बाहर

Chhattisgarh Coronavirus Update: छत्तीसगढ़ में बेकाबू होते कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने और मौतें रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नया ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी कर दिया है।

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Remdesivir के क्लिनिकल ट्रायल को दी मंजूरी

रायपुर. छत्तीसगढ़ में बेकाबू होते कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने और मौतें रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नया ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी कर दिया है। 2020 में बने ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में इस बार वायरस के घातक होते प्रभाव को देखते हुए कई बड़े बदलाव किए गए हैं।

सबसे अहम है जीवन रक्षक माने जाने वाले Remdesivir Injection का इस्तेमाल। प्रोटोकॉल के तहत ए-सिम्प्टेमैटिक और माइल्ड मरीजों को यह इंजेक्शन नहीं दिया जाना है। यह सिर्फ गंभीर और अतिगंभीर मरीजों के लिए ही है। वह भी डॉक्टर तय करेंगे। वहीं, कोरोना की सबसे कारगर माने जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन को सूची से ही बाहर कर दिया गया है।

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स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना 1.0 के वायरस के मुकाबले कोरोना 2.0 का वायरस बहुत ज्यादा घातक साबित हो रहा है। बीते एक महीने में मिलने वाले मरीजों, संक्रमण के बाद अचानक आने वाले बदलावों, ठीक होने की दर, मौतों की वजहों समेत अन्य कई पैमानों को मद्देनजर रखते हुए कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर अंतर्गत ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल की राज्य तकनीकी समिति की अनुशंसा पर ये बदलाव हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव रेणु जी. पिल्ले ने सभी कोविड19 हॉस्पिटल और कोरोना केयर सेंटर के लिए यह प्रोटोकॉल जारी कर दिया है, 11 अप्रैल से लागू हो गया है।

फेविपिराविर और रेमडेसिविर का इस्तेमाल
प्रोटोकॉल में फेविपिराविर 1800 एमजी टेबलेट को जोड़ा गया है। 1800 एमजी दिन में दो बार, अगले 7 दिन 800 एमजी दिन में दो बार। और जरूरत के हिसाब से डॉक्टर की सलाह पर अगले 14 दिन तक ली जा सकती है। टेबलेट का ज्यादा इस्तेमाल किया जाना है, जरूरत पड़ने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन का।

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नए वायरस में हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं है, इसलिए उसे बाहर किया गया है। मगर, कोरोना की शुरुआत से इलाज करने वाले सरकारी और निजी संस्थानों के डॉक्टरों का मानना है कि हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन आज भी उपयोगी है।

कोविड-19 आंबेडकर हॉस्पिटल के इंचार्ज एवं स्वास्थ्य विभाग की कोरोना कोर कमेटी के सदस्य डॉ. ओ.पी. सुंदरानी ने कहा, हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन को ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में नहीं रखा गया है। इसकी जगह पर नई दवाएं जोड़ी गई हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन किन मरीजों को देना है, यह बताया गया है ताकि इसका जरूरतमंद मरीज पर ही इस्तेमाल हो।

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75 से 80 प्रतिशत मरीजों को कोविड केयर हॉस्पिटल/केयर सेंटर की जरूरत नहीं-
ए-सिम्प्टेमैटिक एवं माइल्ड (बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए)-

ये बातें गौर करें- ऑक्सीजन लेवल 94 प्रतिशत से अधिक हो।
क्या करें- फिजिशियन से इन बातों को बताएं, कोविड केयर सेंटर में भर्ती होने की आवश्यकता हो। अगर, अन्य बीमारी से पीडि़त हैं तो आपको डेडिकेटेट कोविड हॉस्पिटल में भर्ती किया जा सकता है। अगर, कोई समस्या नहीं है तो होम आइसोलेशन में रखा जाए।

दवाएं- विटामिन सी 500 एमजी, जिंक 50 एमजी, विटामिन डी3, आईवरमेक्टिन 12 एमजी, डोक्सीसाइक्लॉन 100 एमजी। (डॉक्टर की सलाह पर)

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मॉडरेट (गंभीर मरीज)- ऑक्सीजन लेवल 94 से (रेंज 90 से 94 के बीच) कम हो। पॉजिटिव आने पर आपको डेडिकेटेट कोविड हॉस्पिटल में भर्ती किया जाएगा। जरूरत के हिसाब से एचडीयू वार्ड में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाएगा।

सीवियर (अतिगंभीर मरीज)- जिन मरीजों को सीवियर कोरोना हो, सॉक में हो। ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे गिर रहा हो। रेस्पीरेट्री रेट 30 से अधिक हो।

(नोट- प्रोटोकॉल में दवाओं का जिक्र है। मगर उन्हें प्रकाशित नहीं किया जा रहा। वे डॉक्टर की सलाह पर गंभीर और अतिगंभीर मरीजों के लिए हैं।)