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रायसेन

इस किले की बावड़ी में है पारस पत्थर

एडवेंचर ट्रेकिंग के शौकीन को आकर्षित करता है गौंडवाना साम्राज्य का वैभवशाली किलाचौकीगढ़ किले का है वैभवशाली इतिहास, अनदेखी का शिकार हुआ प्राचीन किला।

रायसेनJun 12, 2021 / 09:31 pm

praveen shrivastava

इस किले की बावड़ी में है पारस पत्थर

इस किले की बावड़ी में है पारस पत्थर

सुरेश पाल, बाड़ी. गौंडवाना साम्राज्य की सत्ता और शक्ति का केंद्र रहा चौकीगढ़ का किला, इतिहास की अनूठी दास्तान है। मध्यप्रदेश की जनजातीय समूह के लिए गौरव का प्रतीक रहा चौकीगढ़ का किला आज बदहाल है, लेकिन इसके खंडहर गौंड राजाओं के वैभव की कहानी बयां करते हैं। आज यह किला जर्जर है, इसमें वहीं प्रवेश करने की हिम्मत करते हैं, जो एडवेंचर का शौक रखते हैं, ट्रेकिंग के लिए यहां आते हैं। बाड़ी नगर से 14 किमी दूर उत्तर दिशा में 13वीं शताब्दी में गौंड राजा उदय वर्धन ने इस वैभवशाली दो मंजिला किले का निर्माण कराया था। जिसका समकालीन साक्ष्य गिन्नौरगढ़ में मिलता है। मलिक कफूर खां तुर्की, रुमिखान सहित कई राजाओं ने इस किले पर हमले किए। गोलों की मार झेलने के बाद भी यह किला शानोशौकत के साथ सीना तान कर खड़ा है। सिंघोरी अभ्यारण में स्थित किले की स्थापना से गौंडवाना साम्राज्य के प्रतापी राजा संग्राम सिंह शाह, वीरांगना रानी दुर्गावती के ससुर का नाम भी जुड़ा है। इस किले का वर्णन आइने अकबरी, गणेशनृप वर्णन संग्रह श्लोक एवं ब्रिटिश कर्नल सर डब्ल्यूएस स्लीमन की ऐतिहासिक पुस्तको में भी मिलता है। चौकीगढ़ किला को निकट से देखने पर गौंड राजाओं की स्थापत्य शैली, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, संस्कृति, रहन सहन और उनके वैभवशाली अतीत को समझा जा सकता है। घने प्राकृतिक जंगलों के बीच पशु पक्षियों के कलरव, प्राकृतिक सुंदरता को निकट से देखने चौकीगढ़ किला दर्शन जरूरी है।
वाटर हार्वेस्टिंग, ईको साउंड सिस्टम
चौकीगढ़ किला की चार दीवारी में वो हर साधन और नक्काशी पूर्ण भवन हैं, जो अमूमन भारत के अन्य किलों में भी हैं। यहां का वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और इत्र दान महल का ईको साउंड सिस्टम रायसेन किला की तरह है। जो अपने में अनोखा है। लगभग एक वर्ग किमी में फैले किला पहाड़ी पर गिरने वाला बारिश का पानी भूमिगत नालियों के जरिए किला परिसर में बने एक तालाब में एकत्र होता है। नालियां कहां से बनी हैं, उनमें पानी कहां से समा रहा है, कितनी नालियां हैं। ये सब आज तक कोई नहीं जान पाया। सदियों पुराने इस वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से तत्कालीन शासकों की दूर दृष्टि और ज्ञान का अंदाजा लगाया जा सकता है।
रायसेन किला से जुड़े तार
किले के संबंध में अनेक किवदंतिया प्रचलित हैं। कहा जाता है कि चौकीगढ़ किले में अकूत सोने चांदी के आभूषणों का भंडार है। बाबड़ी में पारस पत्थर है। 6 मई 1532 में रूमी खां तुर्की और मुगल हुमायु की सेना ने मिलकर रायसेन किले पर आक्रमण किया था। रायसेन की राजमाता दुर्गावती शिलाद सिंह तोमर ने सात सौ महिलाओं के साथ जोहर कर लिया और अपने वंशज प्रताप सिंह तोमर को सुरक्षित गुप्त मार्ग से बाड़ीगढ़ के राजा महासिंह राजगोंड के पुत्र राजा पूरनमल शाह के पास भेज दिया। जहां पूरनमल शाह ने उनको संरक्षण दिया साथ ही एक पोटरी बाबड़ी में फेकने का पैगाम भेजा, पोटली में संभवत: पारस पत्थर था। शायद इसी कारण लोग लालच में स्थान स्थान पर खुदाई करते हैं। देख रेख के अभाव में हमारी ऐतिहासिक विरासत खंडर में तब्दील हो रही।
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