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राजनंदगांव

चौकाने वाली खबर: 6 दिन की बच्ची के साथ जो हुआ है, वैसा 18 वी सदी में हुआ था

छह दिन की बच्ची के पेट में सोनोग्राफी के दौरान एक और भू्रण पाया गया है। चिकित्सकीय भाषा में इसे भू्रण के अंदर भू्रण (फेट्स इन फेटू) कहा जाता है।

राजनंदगांवOct 19, 2019 / 04:15 pm

Karunakant Chaubey

चौकाने वाली खबर:  6 दिन की बच्ची हुई गर्भवती

चौकाने वाली खबर: 6 दिन की बच्ची हुई गर्भवती

राजनांदगांव. पेटदर्द की शिकायत के बाद लाई गई छह दिन की बच्ची के पेट में सोनोग्राफी के दौरान एक और भू्रण पाया गया है। चिकित्सकीय भाषा में इसे भू्रण के अंदर भू्रण (फेट्स इन फेटू) कहा जाता है। लगभग 5 लाख जीवित बच्चों में से एक के साथ यह स्थिति निर्मित होती है।

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अब तक पूरे विश्व में इस तरह के लगभग दो सौ मामले सामने आए हैं। भू्रण के अंदर भ्रूण पाए जाने वाली बच्ची का वजन लगभग ढाई किलो है और अब चिकित्सक इस बच्ची के वजन के चार किलो के आसपास होने के बाद ऑपरेशन के जरिये उसके पेट में मौजूद भ्रूण को निकालने का काम करेंगे। इसके लिए करीब 4 महीने का इंतजार करना पड़ेगा।

पेट में था सूजन

राजनांदगांव के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिमेष गांधी के पास यह मामला आया था। जिले के ग्रामीण अंचल के एक दंपत्ति अपनी छह दिन की बेटी को लेकर उनके पास पहुंचे थे। बच्ची के पेट में सूजन था और दर्द से वह लगातार रो रही थी। प्रारंभिक जांच के बाद बच्ची की सोनोग्राफी के लिए डॉ. गांधी ने कहा। सोनोग्राफी में यह पूरा मामला सामने आया।

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गहन अध्ययन जरूरी

राजनांदगांव के विधि डायग्नोस्टिक एवं रिसर्च सेंटर में रेडियोलाजिस्ट डॉ. अमित मोदी ने बच्ची की सोनोग्राफी की। उन्होंने पाया कि छह दिन की बच्ची के पेट में एक और भू्रण मौजूद है। इस भू्रण का पैर, हाथ व सिर का हिस्सा हल्का सा विकसित हो चुका है जबकि अभी दिल और अन्य अंग विकसित नहीं हुए हैं। इस प्रकार की जांच के लिए गहन अध्ययन और अनुभव की जरूरत पड़ती है। डॉ. मोदी ने बारीकी से जांच कर इस स्थिति का पता लगाया।

लाखों में एक में होती है यह स्थिति

डॉ. गांधी और डॉ. मोदी के मुताबिक भ्रूण के अंदर भू्रण (फेट्स इन फेटू) का मामला बेहद दुर्लभ होता है और यह पांच लाख जीवित बच्चों में से एक में होता है। चिकित्सकों के अनुसार पूरे विश्व में अब तक लगभग दो सौ मामले सामने आए हैं। भारत में अब तक इस तरह के लगभग 9 से 1 ऐसे मामले ही सामने आए हैं। इस तरह का पहला मामला 18वीं शताब्दी में दर्ज किया गया था।

इस वजह से होता है यह

डॉ. मोदी के मुताबिक जब एक प्रसुता जुड़वा बच्चों से गर्भवती होती है और एक बच्चा पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता तो वह दूसरे बच्चे के :ष्शश्च4ह्म्द्बद्दद्धह्ल:दर में स्थान ले लेता है। प्रसव के बाद उस नवजात के पेट में यह भू्रण मिलता है। डॉ. गांधी ने बताया कि पिता के शुक्राणु और माता के अंडाणु से कई बार जुड़वा बच्चे विकसित होते हैं। कई बार ये जुड़वा बच्चे आपस में जुड़े हुए पैदा होते हैं। दुर्लभ स्थिति में इनमें से एक भू्रण दूसरे बच्चे के पेट में आ जाता है।

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अब होगा यह

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गांधी ने बताया कि सोनोग्राफी से यह पता चला है कि नवजात बच्ची के पेट में मिला भू्रण पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। सिर्फ हाथ, पैर व सिर के हिस्से बने है। ऐसे में ऑपरेशन कर इस गोलाकार भू्रण को निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल बच्ची का वजन कम है। उसके वजन के चार से पांच किलो होने के बाद ऑपरेशन किया जाएगा।
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