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दो परिवारों पर टूटा दुखों का पहाड़, चचेरी बहनों की मौत से गांव में नहीं जले चूल्हे…पढ़े देसूरी हादसा

आमेट के माणकदेह के महात्मा गांधी स्कूल से पिकनिक पर गई बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना पर ग्रामीणों को जो साधन मिला उससे हॉस्पिटल पहुंचे। वहां पर रोते-बिखलते बच्चों को संभाला। हादसे में दो चचेरी बहनों की मौत से गांव में चूल्हे तक नहीं जले।

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आमेट. माणकदेह के महात्मा गांधी स्कूल से पिकनिक पर गई बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिलते गांव में हाहाकार मच गया। वहीं, माणकदेह स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों में भी साथियों की सलामती को लेकर काफी बैचेनी का माहौल बन गया। वहीं, आसपास के गांवों के लोग भी अपने अपने बच्चों के हाल-चाल को लेकर एक-दूसरे से बात करते रहे। हुए तत्काल जिसको जो भी साधन मिला उसीे से देसूरी नाल में दुर्घटना स्थल की ओर रवाना हो गए। इसमें कई लोग तो उन्हें मिल रही सूचना के अनुसार देसूरी की नाल की ओर तो कोई चारभुजा एवं कोई राजसमन्द और आमेट अस्पताल की ओर दौड़ पड़े। हादसे में जिन छात्राओं की मौत हुई, उनके परिजनों की हालत तो सूचना मिलते ही रो-रोकर बेहाल हो गई। ऐसे में ग्रामीणों को उन्हें संभाल पाना भी मुश्किल हो रहा था। इनमें दो मृतकाओं के चचेरी बहन होने से इस परिवार पर तो दुखों का दोहरा पहाड़ टूट पड़ा, जिनका विलाप देखकर तो ग्रामीणों की आंखों से भी आंसू छलक पड़े, लेकिन इसके बावजूद वे जैसे-तैसे परिजनों को संभालने का प्रयास करते रहे। तीन मृतकाओं में से चावंड खेड़ा निवासी प्रिती पुत्री नरेन्द्रसिंह का अंतिम संस्कार तो देर शाम को गमगीन माहौल में कर दिया गया। वहीं, आरती पुत्री मीठालाल, ललिता पुत्री प्रकाश का अंतिम संस्कार सोमवार को होगा। बताया कि इनके परिजन गुजरात के सूरत में होने से वे सोमवार सुबह तक गांव पहुुंचेंगे।

मजदूरी से चलता है परिवारों का गुजारा

हादसे में मृतका तीनों छात्राओं के परिवार जरुरतमंद हैं तथा मजदूरी करके जैसे-तैसे गुजर-बसर चलाते हैं। ऐसे में हादसे में नौनिहालों को खोने से परिवार के सदस्यों पर एकाएक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

2007 में हुई थी 85 लोगों की मौत

चारभुजा स्थित देसूरी नाल घाटे में 2007 में रामदेवरा जा रहे जातरूओं से भरा ट्रोला गहरी खाई में गिर गया था। इससे ट्रोले में सवार 85 लोगों की मौत हो गई थी। ट्रोले में 100 से अधिक लोग सवार थे। शेष गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसमें भी कई लोगों की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इसके कारण मौत का आंकड़ा 90 के करीब पहुंच गया था। इसके बाद भी यहां पर कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। जिसमें कई जानें जा चुकी है। इसके बावजूद विकट मोड़ और अन्य कमियों को दुरुस्त नहीं कराया जा रहा है, जिससे इस प्रकार के हादसो पर लगाम लगाई जा सके।

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