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राजस्थान की इस ऐतिहासिक झील से निकलने वाली नहरें क्षतिग्रस्त, व्यर्थ बह रहा पानी

राजसमंद झील से निकलने वाली दायीं और बायीं नहरें कई जगह से क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी व्यर्थ बह रहा हैं तो कहीं खेल मैदान में पानी भर रहा है। इसके कारण झील का अमूल्य नीर व्यर्थ ही बह रहा है। ऐसे में नहरी तंत्र को मरम्मत की दरकार है। झील से निकलने वाले पानी से 10611 हेक्टेयर में सिंचाई होती है।

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कुंवारिया. तहसील मुख्यालय पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के निकट स्थित खेल मैदान वर्तमान में सिंचाई की नहर के पानी से लबरेज है। ऐसे में खेल मैदान दूर से देखने पर किसी तलैया का आभास कराने लगा है। राजसमंद झील से सिंचाई के लिए छोड़े जाने वाला पानी क्षेत्र में नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचता है। लेकिन, क्षेत्र में सिंचाई की नहरों के साथ ही माइनरों (छोटी नहर) की मरम्मत कई बरसों से नहीं करवाए जाने से उनकी हालत काफी खराब है। इसके कारण झील से नहरों में छोड़े जा रहे पानी का कई जगह रिसाव हो रहा है तो कई जगह पड़़वे के माध्यम से पानी बहकर रास्तों पर पसर रहा है और किसानों को खेतों में नुकसान पहुंचा रहा है। इसी प्रकार कस्बे के राउमावि के खेल मैदान के समीप से गुजर रही सिंचाई की नहर की भी क्षतिग्रस्त होने से सिंचाई का पानी नहर से बाहर निकलते हुए खेल मैदान में पहुंच रहा है। इसके चलते वर्तमान में खेल मैदान की हालत यह है कि हॉकी का गोल पोस्ट क्षेत्र व आधे से अधिक खेल मैदान का हिस्सा तलैया का रूप ले चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि सिंचाई विभाग की ओर से नहरों में पानी तो छोड़ दिया गया, लेकिन उनकी ओर से इसकी कोई मॉनिटरिंग नहीं की जा रही जिससे हजारों लीटर पानी यूं ही व्यर्थ बह रहा है। इसको लेकर ग्रामीणों ने रोष व्यक्त करते हुए जिम्मेदारों के साथ ही प्रशासन से इस पर तत्काल ध्यान देने की मांग की है।

खेल मैदान में भर गया पानी, छात्र-छात्रा परेशान

कस्बे के खिलाडियों ने बताया कि खेल मैदान में पानी भर जाने से उनकी खेल की गतिविधियां प्रभावित हो रही है। बताया कि जब भी झील से सिंचाई का पानी छोड़ा जाता है तो नहर से रिसाव होकर पानी मैदान में भर जाता है। इसके बारे में जानकारी होने के बाद भी विभाग की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। अगर नहरों में पानी छोडऩे से पहले विभाग के जिम्मेदार गंभीरता बरतते हुए नहरों की मरम्मत करवा देते तो बेशकीमती पानी को व्यर्थ बहने से बचाया जा सकता था। इसको लेकर उन्होंने आक्रोश जताते हुए मैदान में भरा पानी खाली करवाने और नहरों की मरम्मत करवाते हुए इस समस्या का स्थाई समाधान करवाने की मांग की है, जिससे कि अमूल्य पानी को बर्बाद होने से रोका जा सके।

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