29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजसमंद में मंद पड़ा मार्बल व्यवसाय, यहां के वेस्ट से मोरबी में पनपा वॉल टाइल, सिरेमिक टाइल्स का उद्योग

देश में मार्बल मंडी के नाम से पहचान बनाने वाला राजसमंद का मार्बल उद्योग अब दम तोडऩे के कगार पर है।

3 min read
Google source verification
Rajsamand news

मधुसूदन शर्मा
राजसमंद.
देश में मार्बल मंडी के नाम से पहचान बनाने वाला राजसमंद का मार्बल उद्योग अब दम तोडऩे के कगार पर है। हालात तो ऐसे हैं कि सरकार के भारी भरकम टैक्स के चलते यहां की औद्योगिक इकाईयां और इनसे जुड़े मार्बल गोदाम धीरे-धीरे बंद होने लगे हैं। यही नहीं राजसमंद का मार्बल उद्योग का उत्पादन भी कम हो गया है। इसमें सबसे रोचक पहलू ये है कि यहां की मार्बल इण्डस्ट्रीज से निकलने वाला वेस्ट का उपयोग गुजरात का मोरबी कर रहा है। इसके चलते वहां वॉल पुटटी और सिरेमिक टाइल्स का उद्योग बड़े पैमाने पर पनप गया है। जबकि हम राइजिंग राजस्थान जैसे आयोजनों से अभी बाहर ही निकल पाए हैं। मोरबी में वॉल पुट्टी के उद्योग के लिए राजसमंद से प्रतिदिन करीब 200 ट्रक स्लरी वहां जा रही है। इसके अलावा मेवाड़ और वागड़ से भी माल प्रचुर मात्रा में मोरबी जा रहा है। राजस्थान की मार्बल खदानों के अपशिष्ट से गुजरात में देखते ही देखते नया उद्योग पनप गया। मोरबी में वर्ष 2005 के आस-पास मोरबी में सेरेमिक टाइल्स का उत्पादन शुरू हुआ था। इसके लिए उदयपुर के केशरियाजी, डूंगरपुर के आसपुर व राजसमंद की मार्बल खदानों का अपशिष्ट और डोलोमाइट वहां जाने लगा। यदि सरकार इसका महत्व समझे तो हमारे यहां भी वॉल पुटटी, सेरेमिक टाईल्स जैसे बड़े उद्योग पनप सकते हैं और राजसमंद की मार्बल इण्डस्ट्री को जीवनदान मिल सकता है। जानकारी के अनुसार राजसमंद जिले का मार्बल में उत्पादन बेहतर था। लेकिन टैक्स, किराया, माल खपत नहीं होने सहित अनेक परेशानियों के कारण मार्बल का उत्पादन घट गया। खान विभाग के आंकड़ों पर गौर किय जाए तो वर्ष 2017-18 में 64 लाख 43 हजार 80 लाख मीट्रिक टन उत्पादन था। जो घटकर 2021-22 में 41.19 लाख मीट्रिक टन पर आ गया। ऐसे में इन बीते वर्षों में 23.24 लाख मीट्रिक टन उत्पादन कम हो गया।

राजसमंद का मार्बल उद्योग गुजरात, महाराष्ट्र पर निर्भर

मार्बल मंडी के नाम से विख्यात राजसमंद का मार्बल उद्योग का चलन अब धीरे-धीरे कम हो गया है। लेकिन जीएसटी की बढ़ी दरें, किराया आदि के कारण धीरे-धीरे ये कम हो गया है। इस उद्योग के चलन की बात करें तो यहां का मार्बल व्यवसाय केवल गुजरात और महाराष्ट्र पर ही निर्भर है। इसके अलावा सरकार के नियमों की सख्ती भी मार्बल उद्योग पर भारी पड़ रही है। ऐसे में यहां का मार्बल उद्योग वर्तमान में मंदी के दौर से गुजर रहा है। वहीं किशनगढ़ का मार्बल उद्योग नॉर्थ इंडिया पर निर्भर है। किराया कम होने की वजह से वहां मार्बल व्यवसाय लगातार बढ़ रहा है।

विट्रीफाइड टाइल्स ने तोड़ी मार्बल उद्योग की कमर

इस समय देश के हर कौने में विट्रीफाइड टाइल्स का चलन बढ़ गया है। ऐसे में मार्बल की खदानों से निकले पत्थर की चमक इसके आगे फीकी हो गई है। देश के हर कौने में विट्रीफाइड टाइल्स के शोरूम बन गए हैं। जिसके चलते यहां का मार्बल उद्योग धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है। अधिक जीएसटी दरें, आर्थिक सुस्ती, किरायों में भारी वृद्धि जैसी दिक्कतों अन्य उत्पादन केंद्रों के समान राजसमंद का मार्बल एवं ग्रेनाइट स्टोन उद्योग मुश्किल दौर से गुजर रहा है। राजसमंद में गैंगसा से प्रति माह 5 करोड़ वर्ग फुट से अधिक का उत्पादन करने वाले संगमरमर की कटाई/प्रसंस्करण इकाई लगी हुई हैं, जिनका वजन प्रति माह 2.5 लाख टन से अधिक है।

जिले पर एक नजर

  • 1000 से अधिक खदान है।
  • 41.19 लाख टन मार्बल का उत्पादन
  • 800 मार्बल कटर
  • 700 ग्रेनाइट कटर संचालित
  • 12 हजार श्रमिक नियोजित
  • 20 लाख टन ग्रेनाइट का उत्पादन
  • 23.24 लाख मीट्रिक टन उत्पादन कम

ये पेचीदगियां मार्बल के लिए बनी परेशानी

  • नए उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि का अभाव
  • यहां के उत्पादों के लिए स्पेशल इण्डस्ट्री जोन की सुविधा नहीं
  • कॉमर्शियल गैस पाइप लाइन नहीं
  • पानी की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता नहीं
  • सरकारी जटिलताओं से बढ़ी परेशानी

इनका कहना है

यहां के मार्बल की खदानों से निकलने वाले वेस्ट के कारण गुजरात के मोरबी में वॉल पुटटी का उद्योग बड़े लेवल पर उभरकर सामने आया है। लेकिन राजसमंद का मार्बल व्यवसाय मंदी के दौर से गुजर रहा है। इसके लिए सरकार के स्तर पर विशेष प्लान तैयार कर यहां पर इससे जुड़े प्रोजेक्ट स्थापित करना चाहिए ताकि मार्बल व्यवसाय गति पकड़ सके। मार्बल के लिए विशेष जोन तैयार किया जाना चाहिए। श्रम शक्ति और कच्चे माल की यहां कोई कमी नहीं है। यहां पर सिरेमिक पार्क, सिरेमिक इण्डस्ट्री की स्थापना की जानी चाहिए ताकि राजसमंद भी मोरबी की तरह अपनी पहचान बना सके।

  • रवि शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, मार्बल गैंगसा एसोसिएशन, राजसमंद