
विधानसभा चुनावों की तुलना में लोकसभा चुनाव का मतदान प्रतिशत हर बार गिर जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है मौसम की मार। अपे्रल और मई की भीषण गर्मी मतदान पर भी असर डालती है, यह आंकड़ों से साफ है। हालांकि राजसमंद लोकसभा सीट पर वर्ष 2009 से अब तक हुए तीन चुनावों में लगातार मतदान प्रतिशत बढ़ रहा है, मगर विधानसभा चुनावों से तुलना करें तो यह कम ही है।
राजसमंद जिले के चार विधानसभा क्षेत्र और ब्यावर, पाली मेड़ता की चार और सीटों को मिलाकर बनी राजसमंद लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव वर्ष 2009 में हुए। विधानसभा चुनाव 2008, 2013 व 2018 के मतदान की तुलना में लोकसभा चुनाव 2009, 2014 और 2019 में मतदान प्रतिशत क्रमश: 24.44, 14.42 और 6.59 कम हुआ।
जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में मतदान कम होने के पीछे निर्वाचन क्षेत्र की व्यापकता, प्रचार अभियान, प्रत्याशी और अन्य कई वजहें भी हैं।
गिरकर भी अंतर कम हो रहा
आंकड़े ये भी दर्शाते हैं कि लोकसभा चुनाव के करीब चार-पांच माह बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में मतदान गिरने का अंतर भी कम हो रहा है। यह निर्वाचन आयोग की कोशिशों और मतदाताओं की जागरुकता का नतीजा है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्वीप गतिविधियों और नवाचारों के जरिये मतदाता जागरुकता बढ़ाने में सफलता हासिल की है। इसके सुखद नतीजे भी देखने को मिले हैं।
गर्मी में मतदान बढ़ाने के कर रहे बंदोबस्त
हमारी पूर्व तैयारी बूथ लेवल तक चल रही है। 50 प्रतिशत से कम मतदान वाले बूथों को चिह्नित किया है। स्थानीय टीमें बनाई हैं, जो कारण खोज रही हैं। गर्मी के मद्देनजर मतदान केन्द्रों पर पेयजल, छांव, चिकित्सा बंदोबस्त व मतदाताओं की मदद के लिए वालंटियर, सभी जगह व्हील चेयर मुहैया कराएंगे। मतदान के दिन बूथवार वोटिंग ट्रेंड परखेंगे। जहां कम है, वहां के वंचित मतदाताओं को बाकायदा कॉल कर मतदान के लिए प्रेरित करने की योजना है।
डॉ. भंवरलाल, जिला निर्वाचन अधिकारी, राजसमंद
Published on:
05 Apr 2024 08:12 pm
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