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राजस्थान के इस शहर में चार साल बाद होगी वन्यजीव गणना, तैयारी में जुटा वन विभाग

– 23 मई को वैशाख पूॢणमा पर वन्यजीव गणना की तैयारी जोरों पर
– दुगर्म स्थानों पर लगेंगे ट्रेप कैमरा, पिछले चार साल से नहीं हुई गणना

राजसमंदMay 06, 2024 / 12:12 pm

himanshu dhawal

राजसमंद. जिले के कुंभलगढ़ एवं रावली टॉडगढ़ में 170 पाइंट पर वन्यजीव गणना की जाएगी। वन विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। दुर्गम जगहों पर ट्रेप कैमरा लगाए जाएंगे। बारिश और कोरोना के चलते पिछले चार साल से वन्यजीव गणना नहीं हो सकी है।
वन विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष वैशाख की पूर्णिमा पर कुंभलगढ़ एवं रावली टॉडगढ़ अभ्यारण्य में वन्यजीव गणना करवाई जाती है। इसके तहत इस वर्ष 23 मई को वन्यजीव गणना करवाई जाएगी। वन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। वाटर हॉल पाइंट पर मचान आदि बनाने के निर्देश दिए गए हैं। दोनों स्थानों पर करीब 40 वाटर हॉल तैयार करवाए जा रहे हैं। प्राकृतिक वाटरहॉल में बारिश का पानी भरा हुआ है, जबकि कृत्रिम वाटर हॉल के पास में लगे पंप से भरा जाएगा। इन वाटर हॉल पर 24 घंटे के लिए दो कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा। यह कर्मचारी वाटरहॉल पर आने वाले वन्यजीवों की गणना करेंगे। हालांकि 15 मई के बाद इस काम में तेजी आएगी। गौरतलब है कि वर्तमान में तेज गर्मी पडऩा अभी शेष है। ऐसे में आगामी दिनों में वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सकेगी।

150 से अधिक कार्मिक रहेंगे तैनात

वन विभाग के अनुसार प्रत्येक वाटर हॉल पर दो कार्मिकों को तैनात किया जाएगा। ऐसे में 170 के करीब पाइंट बनाए जाएंगे, जिन स्थानों पर मचान बनाकर वन्यजीव गणना मुश्किल होगी वहां पर ट्रेप कैमरा लगाए जाएंगे। हालांकि इसकी संख्या 15 मई के बाद साफ होगी।

चार से अटक रही वन्यजीव गणना

वन विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष होने वाली वन्यजीव गणना पिछले चार साल से नहीं हो रही है। इसमें 2020 और 2021 में कोरोना की वजह से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी। इसके बाद 2022 में ताउते तूफान के कारण एवं पिछले साल बिपरजॉय तूफान के चलते तेज बारिश के कारण वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी। हालांकि इसे एक माह के लिए टाला गया था, लेकिन बाद में इसे निरस्त ही करना पड़ा था।

पाइंट आदि का करा रहे निर्धारण

कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ रावली अभ्यारण्य में 23 मई को वन्यजीव गणना करवाई जाएगी। इसके लिए पाइंट निर्धारित कर मचान आदि बनाने के निर्देश दिए गए हैं। अभी गर्मी तेज नहीं पड़ रही है। कृत्रिम वाटरहॉल में भी पानी भरा है, वहीं प्राकृतिक वाटरहॉल में पानी आदि भरवाए जाने की व्यवस्था की जाएगी।
  • सुदर्शन शर्मा, उप वन संरक्षक वन विभाग राजसमंद

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