आगामी दिनों में विभिन्न कारणों से इस माह एक सप्ताह तक बैंक बंद रहेंगे। एेसे में रुपए की जरुरत के सभी काम उपभोक्ताओं को अभी से निपटा लेना चाहिए। शहर में अधिकांश एटीएम या तो खराब पडे़ है या उनमे रुपए ही नहीं है। एेसे में उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है। इन सब के बाद भी जिम्मेदार मौन है।
बंद है कई एटीएम शहर के त्रिपोलिया गेट से लेकर स्टेशन तक व पैलेस रोड से लेकर अलकापुरी तक एटीएम के मामले में हालात खराब है। इतना ही नहीं, रेलवे स्टेशन पर तो अलग-अलग बैंक के तीन एटीएम है, इनमे से सिर्फ एसबीआई का एटीएम चल रहा है। वह भी कई बार हैंग हो रहा है। एेसे में परेशानी में कोई सहारा नहीं मिल रहा है।
ये है स्थिति शहर के एटीएम की शहर के सबसे व्यस्त चौराहा दो बत्ती पर विभिन्न बैंक के 10 एटीएम है। इनमे से एचडीएफसी बैंक का एक एटीएम रुक-रुक कर चल रहा है। जबकि आईसीआईसीआई के एटीएम में छोटे नोट ही नहीं है। इसी प्रकार की स्थिति बंधन बैंक के एटीएम में है। कलेक्टर कार्यालय के एसबीआई के एटीएम में 100 रुपए के नोट नहीं है, जबकि मित्र निवास रोड स्थित एटीएम बंद पडे़ है। इन सब के बीच इसी रोड पर इक्विटास बैंक के एटीएम में 500 व 2 हजार रुपए के नोट उपलब्ध है।
ये है बैंक बंद रहने का कारण असल में 29 मार्च से लेकर 1 अप्रैल तक चार दिन तक बैंक में कोई कामकाज नहीं होगा। इसकी वजह ये है कि 29 मार्च को भगवान महावीर जयंती, 30 मार्च को गुड फ्रायडे, 31 मार्च को बैंकों का क्लोसिंग रहेगा। एेसे में बैंक उपभोक्ताओं से लेन-देन नहीं करती है। 1 अप्रैल को रविवार का अवकाश रहेगा। इन सब के अलावा
नवरात्रि में अष्टमी व श्रीराम नवमी पर अवकाश अलग रहेगा। इन सब के बीच 25 मार्च को रविवार का अवकाश अलग से रहेगा।
नोटबंदी जैसे है हालात शहर में नोटबंदी के दौरान जिस तरह से एक एटीएम से दूसरे एटीएम के चक्कर काटे जा रहे थे, वो दिन फिर से आ गए है। स्थिति ये है कि अधिकांश बैंक के एटीएम में छोटे नोट नहीं है। एेसे में जरुरत २०० या ३०० रुपए की हो तो भी या तो २ हजार रुपए निकालो, या काम हो जाए उतना किसी से उधार लो की स्थिति है।
– अशोक तिवारी, समाजसेवी व्यवस्था न की तो परेशानी होगी अवकाश के पूर्व ही योजना बनाकर एेसे मामलों में तैयारी करना होती है। परेशानी होने पर शहर में आक्रोश उभरेगा। क्योकि ये एक या दो एटीएम की स्थिति न होकर लगभग सभी जगह परेशानी आ रही है। व्यवस्था में सुधार योजना बनाकर करना जरूरी है।
– हिम्मत गेलड़ा, पूर्व मैनेजर, लीड बैंक