28 अक्टूबर को दोपहर 2 से 5 बजे के मध्य लोकेन्द्र भवन में मातृ-पितृ वंदन महोत्सव मनाया जाएगा। इस पावन मौके पर तपोगच्छ सिरताज आचार्य देव जिनचन्द्रसागर एवं हेमेन्द्रसागर महाराज बंधु.बेलड़ी के आर्शीवचनों का लाभ भी गुरुभक्त ले सकेगे। इस पावन मौके पर विशेष रुप से शहर के ऐसे परिवार जो की तीन से चार पीढ़ी से एक ही छत के नीचे सामाजिक पारिवारीक सौहार्द की मिसाल को कायम किए हुए है। उन परिवारों के लिए मातृ-पितृ पूजन का आयोजन रखा गया है।
ज्ञान का प्रकाश जीवन से अज्ञान के अंधकार को दूर करता है, बिना सांसारिक ज्ञान के जब जीवन नहीं चलता है तो मोक्ष मार्ग के पथिकों को बिना ज्ञान के मंजिल कैसे मिल सकती है। ज्ञान में स्थिरता के लिए उसमें निष्ठा बहुत जरूरी है, जैसे बिना ड्रायवर पर विश्वास किए सफर नहीं होता और उसी तरह बिना निष्ठा के ज्ञान नहीं टिकता है। सूर्योदय से अंधेरा स्वत: ही मिट जाता है वैसे ही ज्ञान की प्राप्ति से जीवन की सारी समस्याओं और जन्म मरण का अंत हो जाता है। यह विचार व्याख्यान में आचार्यश्री जिनचंद्रसागरसुरिश्वर की प्रेरणा से मुनिश्री तारकचंद्रसागर महाराज ने व्यक्त किए। करमचंद्र उपाश्रय हनुमान रुंडी पर उन्होंने कहा कि सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान दोनों ही जरूरी है, लेकिन जिस ज्ञान से जीवन का परम सत्य समझ में आ जाएं वही सच्चा ज्ञान है।
जयंतसेन धाम पर 47 दिनी उपधान तप में करीब 100 तपस्वी और अयोध्यापुरम गुरुकुल के 12 बाल तपस्वी साधना में उत्साह से लगे है। साधना सत्कार पर्व आचार्यश्री हेमचन्द्र सागर सूरीश्वर के 16 दिनी मौन एकांत साधना की पूर्णता पर 25 व 26 अक्टूबर को साधना सत्कार पर्व मनाए जाने की श्री संघ द्वारा जोर शोर से तैयारियां की जा रही है। 25 को विशेष अनुष्ठान के बाद 26 को साधना पूर्णता पर सत्कार यात्रा करमचंद उपाश्रय से निकलकर सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज पर जाएगी, यंहा आचार्य श्रीमहामंगलिक फरमाएंगे।