scriptअतीत के कर्मों को कैसे बदल सकता मनुष्य…पढ़े पूरी खबर | Latest News Ratlam | Patrika News
रतलाम

अतीत के कर्मों को कैसे बदल सकता मनुष्य…पढ़े पूरी खबर

अतीत के कर्मों को कैसे बदल सकता मनुष्य…पढ़े पूरी खबर

रतलामOct 23, 2018 / 11:05 pm

Gourishankar Jodha

patrika

अतीत के कर्मों को कैसे बदल सकता मनुष्य…पढ़े पूरी खबर

रतलाम। मनुष्य धर्म के माध्यम से अपने अतीत के कर्मो को बदल सकता है, मगर उसे अतीत के कर्म को तो भुगतना ही है। भगवान कर्म के बंध को नहीं रोक सकते लेकिन कर्मो को भोगने के लिए समता का गुण विकसित करते है। जिससे कर्मो को सहने कि शक्ति आ सकती है। भगवान ने तुम्हारे कर्मो से कोई छेड़छाड़ नहीं कि समता आ गई तो चित्त परिवर्तित हो जाएगा। धर्म से वर्तमान के कर्मो को बदल सकते है, लेकिन अतीत के कर्मो को नहीं है। इसलिए कर्म आंखे खोलकर करो और भक्ति पूरे जोश के साथ करों। यह विचार चातुर्मास धर्मप्रभावना समिति द्वारा लोकेन्द्र भवन में आयोजित चातुर्मास के दौरान धर्मसभा में मुनिश्री विराटसागर महाराज ने कही।
मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण की दौड़ में भारतीय सामाजिक मूल्यों का भी काफी पतन हुआ है। कुंटुब क्या होता है, सौहार्द वात्सल्य क्या है, यह सब विलुप्त होते जा रहे है। इस दिव्य संत्सग के दौरान 23 अक्टूबर को संबध पिता पुत्र के, 24 को दाम्पत्य की धुरी और आपसी समझ, 25 को भाई हो कैसा रामभरत जैसा, 26 को बुढापा बोझ या वरदान और 27 अक्टूबर को परिवार की खुशियों का राज विषय पर मुनिश्री के प्रवचन सुबह ८ से ९ बजे के बीच होगे।
मातृ-पितृ वंदन महोत्सव28 को मनेगा
28 अक्टूबर को दोपहर 2 से 5 बजे के मध्य लोकेन्द्र भवन में मातृ-पितृ वंदन महोत्सव मनाया जाएगा। इस पावन मौके पर तपोगच्छ सिरताज आचार्य देव जिनचन्द्रसागर एवं हेमेन्द्रसागर महाराज बंधु.बेलड़ी के आर्शीवचनों का लाभ भी गुरुभक्त ले सकेगे। इस पावन मौके पर विशेष रुप से शहर के ऐसे परिवार जो की तीन से चार पीढ़ी से एक ही छत के नीचे सामाजिक पारिवारीक सौहार्द की मिसाल को कायम किए हुए है। उन परिवारों के लिए मातृ-पितृ पूजन का आयोजन रखा गया है।
बिना निष्ठा के ज्ञान नहीं टिकता
ज्ञान का प्रकाश जीवन से अज्ञान के अंधकार को दूर करता है, बिना सांसारिक ज्ञान के जब जीवन नहीं चलता है तो मोक्ष मार्ग के पथिकों को बिना ज्ञान के मंजिल कैसे मिल सकती है। ज्ञान में स्थिरता के लिए उसमें निष्ठा बहुत जरूरी है, जैसे बिना ड्रायवर पर विश्वास किए सफर नहीं होता और उसी तरह बिना निष्ठा के ज्ञान नहीं टिकता है। सूर्योदय से अंधेरा स्वत: ही मिट जाता है वैसे ही ज्ञान की प्राप्ति से जीवन की सारी समस्याओं और जन्म मरण का अंत हो जाता है। यह विचार व्याख्यान में आचार्यश्री जिनचंद्रसागरसुरिश्वर की प्रेरणा से मुनिश्री तारकचंद्रसागर महाराज ने व्यक्त किए। करमचंद्र उपाश्रय हनुमान रुंडी पर उन्होंने कहा कि सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान दोनों ही जरूरी है, लेकिन जिस ज्ञान से जीवन का परम सत्य समझ में आ जाएं वही सच्चा ज्ञान है।
47 दिनी उपधान तप
जयंतसेन धाम पर 47 दिनी उपधान तप में करीब 100 तपस्वी और अयोध्यापुरम गुरुकुल के 12 बाल तपस्वी साधना में उत्साह से लगे है। साधना सत्कार पर्व आचार्यश्री हेमचन्द्र सागर सूरीश्वर के 16 दिनी मौन एकांत साधना की पूर्णता पर 25 व 26 अक्टूबर को साधना सत्कार पर्व मनाए जाने की श्री संघ द्वारा जोर शोर से तैयारियां की जा रही है। 25 को विशेष अनुष्ठान के बाद 26 को साधना पूर्णता पर सत्कार यात्रा करमचंद उपाश्रय से निकलकर सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज पर जाएगी, यंहा आचार्य श्रीमहामंगलिक फरमाएंगे।

Home / Ratlam / अतीत के कर्मों को कैसे बदल सकता मनुष्य…पढ़े पूरी खबर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो