इस तरह के किए काम
रेलवे ने सबसे पहले दिल्ली – रतलाम – मुंबई राजधानी रेलवे ट्रैक पर पाइंट्स में बदलाव करने का किया। पुराने समय के हो चुके इन पाइंट्स को अपग्रेट किया गया। इसके लिए वेब स्विच लगाए गए। इसके अलावा वर्षो पूर्व के सिग्नल को बदलकर इनको एलइडी वाला किया गया। जो रेलवे ब्रिज पुराने हो गए थे व जिनकी मियाद समाप्त होने को थी, उनके स्थान पर गडर बदलकर इनकी आयु 100 वर्ष बढ़ा दी गई। इसके अलावा रेलवे स्लीपर से लेकर पटरी में बदलाव का कार्य तो निरंतर जारी है।
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कई तरह की होती है दुर्घटनाएं
रेलवे में तकनीकी भाषा में बात की जाए तो कई तरह की रेल दुर्घटनाएं होती है। यात्री ट्रेन, मालगाड़ी की दुर्घटनाओं को महत्व दिया जाता है। इसमे भी जांच के बाद यह तय किया जाता है कि दुर्घटना किसकी गलती की वजह से हुई है, दुर्घटना को उसके खाते में डाला जाता है। जैसे की सिग्नल में खराबी के चलते हुई तो उसको उसी खाते में डाला जाएगा।
सतर्कता से ही दुर्घटना रुकती है
दुर्घटना रेल की हो या रोड पर, बचाव के लिए सतर्कता ही सबसे जरूरी है। रेल मंडल में सतर्कता रखते हुए कर्मचारियों ने काम किया व कई नए संसाधन को लगाया गया। इसी से दुर्घटनाएं कम हो पाई है।
– विनीत गुप्ता, मंडल रेल प्रबंधक
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