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अधूरी रह गई शिवराज की आदि गुरु की प्रतिमा स्थापना की योजना, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने नरसिंहपुर में बना दिया मंदिर

जिले में नर्मदा नदी के ढानाघाट में आदि शंकराचार्य का भव्य मंदिर बन कर तैयार है जिसमें अगले दो माह में आदि शंकराचार्य और उनके गुरु गोविंद पादाचार्य के दंड संन्यास दीक्षा देते हुए दिव्य विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा करा दी जाएगी।
 

Jan 14, 2019 / 10:11 pm

ajay khare

 माईनिंग पुलिस की संयुक्त कार्रवाही

narmada

पत्रिका एक्सक्लूसिव ढानाघाट गुरु गुफा से लौटकर अजय खरे।

नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश में आदि गुरु शंकराचार्य की देश की सबसे बड़ी प्रतिमा की स्थापना का सपना शिवराज सरकार पूरा नहीं कर सकी पर यह बड़ा धार्मिक काम द्विपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने जरूर पूरा करा दिया है। उनकी पहल पर जिले में नर्मदा नदी के ढानाघाट में आदि शंकराचार्य का भव्य मंदिर बन कर तैयार है जिसमें अगले दो माह में आदि शंकराचार्य और उनके गुरु गोविंद पादाचार्य के दंड संन्यास दीक्षा देते हुए दिव्य विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा करा दी जाएगी।
सिद्ध क्षेत्र है गुरु गुफा
सांकलघाट के पास ढानाघाट पर यह मंदिर उस सिद्ध क्षेत्र में बनाया गया है जिसके बारे में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज शास्त्रोक्त आधार पर यह प्रमाणित करते रहे हैं कि यहां आदि गुरु शंकराचार्य ने अपने गुरु गोविंद पादाचार्य से दंड संन्यास की दीक्षा ग्रहण की थी। यहां वह गुरु गुफा अपने प्राकृतिक स्वरूप में अभी भी मौजूद है जिसमें रह कर आदि शंकराचार्य ने कठोर जप तप व साधना की थी। इस स्थान व गुफा की प्रमाणिकता को पुरातत्वविद भी साबित कर चुकेे हैं। यह स्थान धूमगढ़ नीमखेड़ा के अंतर्गत है।
५५ फीट ऊंचा शिखर
मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने २८ जनवरी २०१८ को मंदिर के लिए भूमिपूजन किया था। जून माह में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ और महज ७ माह में विशाल मंदिर लगभग बनकर तैयार हो गया है। करीब ४० गुणा ६० वर्ग फीट क्षेत्र में निर्मित मंदिर के शिखर की ऊंचाई ५५ फीट है। चेन्नई से आए कारीगर अब इसकी फिनिशिंग और टचिंग का काम कर रहे हैं। मंदिर के अनुरूप कुछ अन्य कलाकृतियों को उकेरेने का कार्य अंतिम चरण में है। मंदिर निर्माण में अभी तक ४२०० श्रमिक दिवस कार्य किया गया है। मंदिर के सामने ही नर्मदा परिक्रमावासियों के ठहरने और सदाव्रत आदि के लिए अन्नक्षेत्र, भोजनालय का निर्माण कराया गया है। २० कक्षों वाले इस अतिथिग़ृह में २ कक्ष शंकराचार्य महाराज के ठहरने के लिए बनाए गए हैं। इसका काम भी पूर्णता की ओर है।

अधूरी रह गई शिवराज सरकार की योजना
एमपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा की स्थापना के लिए कार्य योजना तैयार की थी। इसके लिए सरकार ने 23 अप्रैल 2018 को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास का गठन किया था। जिसमें देश के प्रमुख धर्म गुरुओं को शामिल किया था। श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य को मुख्यमार्ग दर्शक ने किया था । न्यास की पहली बैठक 23 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर हुई थी। जिसमें शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा की स्थापना के लिए पूरे प्रदेश से अष्टधातु को एकत्र करने का अभियान चलाया था जिसमें लोगों ने स्वर्ण से लेकर अन्य धातएं दान में दी थीं। दूसरी ओर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने ओंकारेश्वर को आदि शंकराचार्य की तपोभूमि बताने पर अपना विरोध जताया था। शिवराज की नमामि देवी नर्मदे यात्रा के दौरान सांकलघाट में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने उन्हें गुरु गुफा को आदि शंकराचार्य की तपोस्थली बताते हुए यहां मूर्ति स्थापना की बात की थी। शिवराज को इस गुफा के अंदर दर्शन कराए थे व उन्हें व साधना को स्फटिक का शिवलिंग भी भेंट किया था। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने बताया था कि आदि शंकराचार्य ने यहां अपने गुरु गोविंद पाादाचार्य से दंड संन्यास की दीक्षा ली थी, गौरतलब है कि ब्रिटिश काल के गजेटियर में भी सांकल घाट को आदि शंकराचार्य की तपोस्थली बताया गया है।
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अत्यंत मनोरम स्थल
नर्मदा किनारे ऊंची पहाड़ी पर निर्मित यह मंदिर आसपास प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, पूर्वाभिमुख मंदिर के दायीं ओर नर्मदा का विशाल आंचल है तो बायीं ओर गुरुगुफा है जहां आदि शंकराचार्य ने अपने गुरु से दीक्षा ग्रहण की थी।

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