Modi In Mahakumbh: 5 फरवरी को ऐसा क्या खास, इस दिन PM Modi कर सकते हैं महाकुंभ स्नान, पंडित जी से जानिए इसका महत्व
Modi In Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 आध्यात्मिक मेले में 5 फरवरी को माघ शुक्ल अष्टमी यानी भीष्म अष्टमी पर PM Narendra Modi प्रयागराज संगम में आस्था की डुबकी लगा सकते हैं। आइये जानते हैं शाही स्नान की तिथियों से अलग, इस तिथि पर संगम स्नान का क्या धार्मिक महत्व है।
Modi In Mahakumbh 2025 file photo: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्धकुंभ 2019 में प्रयागराज संगम पर स्नान करते हुए (फाइल फोटो)
Modi In Mahakumbh: इन दिनों 144 वर्षों में एक बार आने वाली शुभ घड़ी में महाकुंभ 2025 माघ आध्यात्मिक मेले का आयोजन हो रहा है। देश विदेश के आम और खास श्रद्धालु अलग-अलग तिथियों पर संगम स्नान कर पुण्य लाभ कमाने आ रहे हैं।
ऐसे में PM Narendra Modi ने 5 फरवरी को महाकुंभ 2025 में स्नान करने की योजना बनाई है। प्रयागराज के ज्योतिषी आशुतोष वार्ष्णेय से आइये जानते हैं कि इस तिथि में ऐसा क्या खास है या कहें इसका क्या महत्व है, जिसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी तिथि पर महाकुंभ में स्नान की योजना बनाई हो सकती है।
5 फरवरी की तिथि का पंचांग और महत्व (Modi In Mahakumbh On Bhishma Ashtami)
Modi In Mahakumbh 2025: पंचांग के अनुसार 5 फरवरी 2025 को जिस दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी प्रयागराज महाकुंभ 2025 में संगम में स्नान कर पूजा अर्चना कर सकते हैं। उस दिन माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि है, इस तिथि को भीष्म अष्टमी के रूप में जाना जाता है।
किंवदंतियों और महाभारत के अनुसार इसी तिथि पर बाणों से विधे गंगा पुत्र भीष्म ने अपना शरीर त्यागा था यानी यह तिथि पितामह भीष्म की पुण्यतिथि के रूप में जानी जाती है। इसी कारण इस दिन मध्याह्न के समय गंगा स्नान और श्राद्ध तर्पण का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं 5 फरवरी का पंचांग
माघ शुक्ल अष्टमी तिथि का आरंभः 05 फरवरी 2025 को सुबह 02:30 बजे (यानी 4 फरवरी की देर रात) माघ शुक्ल अष्टमी तिथि समापनः 06 फरवरी 2025 को सुबह 12:35 बजे (यानी 5 फरवरी की देर रात) उदया तिथि में माघ शुक्ल अष्टमी यानी भीष्म अष्टमीः बुधवार 5 फरवरी 2025 को भीष्म अष्टमी पर मध्याह्न का समयः सुबह 11:35 बजे से दोपहर 01:47 बजे तक मध्याह्न अवधिः करीब 02 घंटे 12 मिनट
भीष्म अष्टमी पर शुभ योग (Mhishma Ashtami Shubh Yog)
शुक्ल योगः रात 9.19 बजे तक ब्रह्म योगः 6 फरवरी को शाम 6.42 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योगः 5 फरवरी को रात 08:33 बजे से 6 फरवरी को सुबह 07:10 बजे तक रवि योगः 5 फरवरी को रात 08:33 बजे से 6 फरवरी सुबह 07:10 बजे तक
कहानी से जानिए भीष्म अष्टमी का महत्व (Bhishma Ashtami Story)
Modi In Mahakumbh 2025: जिस तिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकुंभ 2025 में प्रयागराज संगम तट पर स्नान करेंगे, महाभारत की कहानी से उसका महत्व जान सकते हैं। आइये जानते हैं इसका महत्व ..
महाभारत के अनुसार पितामह भीष्म के बचपन का नाम देवव्रत था। ये हस्तिनापुर के सम्राट शांतनु और देवी गंगा के संतान थे। कथा के अनुसार देवी गंगा ने महाराज शांतनु से इस शर्त पर विवाह किया था कि वो गंगा के किसी काम पर सवाल नहीं उठाएंगे और जिस दिन सवाल उठाएंगे वो पृथ्वी लोक छोड़ देंगी।
कालांतर में गंगा अपनी ही संतानों को जन्म देने के बाद अपनी जलधारा में प्रवाहित कर देती थीं। लेकिन देवव्रत के जन्म के बाद जब गंगा उन्हें ले जा रहीं थीं तभी महाराज शांतनु ने उन्हें रोक दिया और मां गंगा अपने लोक को चली गईं। इधर, गंगा के अपने धाम जाने से महाराज शांतनु दुखी रहने लगे। इसी दौरान गंगा तट पर उनकी मुलाकात सत्यवती से हो गई।
ये भी पढ़ेंः Kalpvas Ke Niyam: महाकुंभ में तपस्या करेंगी स्टीव जॉब्स की वाइफ, कल्पवास में इन 21 कठिन नियमों को करना होगा फॉलो इन्हें सत्यवती से प्रेम हो गया, लेकिन सत्यवती के पिता विवाह के लिए तैयार नहीं थे। क्योंकि नियमानुसार विवाह के बाद भी हस्तिनापुर का सिंहासन देवव्रत को मिलता। इससे देवव्रत के पिता की तबीयत खराब हो गई। बाद में देवव्रत ने पिता की शादी के लिए कभी राजा न बनने और आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ली। इससे प्रसन्न होकर राजा शांतनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया।
इसी के कारण महाभारत युद्ध में बाणों से विध जाने के बाद भी भीष्म के प्राण नहीं निकले। उन्होंने अपनी देह त्यागने के लिए शुभ मुहूर्त, सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की। साथ ही शुभ समय में देह त्यागने के लिए भीष्म पितामह ने माघ शुक्ल अष्टमी को चुना।
इस दिन श्राद्ध का महत्व (Shradh On Bhishma Ashtami)
Bhishma Ashtami: भीष्म अष्टमी के दिन ऐसे लोग जिनके पिता की मृत्यु हो गई है, भीष्म पितामह के लिए एकोदिष्ट श्राद्ध करते हैं। हालांकि, कई लोगों का कहना है कि भीष्म पितामह का श्राद्ध अनुष्ठान कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
कुंभ में गांधी जी भी कर चुके हैं स्नान Modi In Mahakumbh: बता दें कि कुंभ देश की सहस्त्राब्दियों पुरानी सभ्यता आध्यात्मिक चेतना का प्राण तत्व है, इसमें समय समय पर राजा महाराजा व्यापारी, संत महात्मा पहुंचते रहे हैं। महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जय प्रकाश नारायण समेत कई नेता भी अलग-अलग समय पर शामिल हो चुके हैं। सोनिया गांधी, इंदिरा गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अनेक नाम इसमें शामिल हैं। इसकी अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिए लिंक (कुंभ में गांधी जी भी कर चुके हैं स्नान) पर क्लिक करें …