
Shadi Muhurat in 2025 for 47 days in next 5 months after Kharmas end date chaturmas kab shuru hoga Marriage in May: कब से गूंजेगी शहनाई
Kharmas End Date: ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार 14 मार्च से लगे खरमास की समाप्ति 13 अप्रैल को रही है। जिसके बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास यानी मीन महीना खत्म हो जाएगा।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार आगामी 6 जुलाई 2025 देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होगा। इस कारण जुलाई से अक्टूबर तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे। मुहूर्त 1 नवंबर को देव उठनी एकादशी पर रहेगा, लेकिन विवाह मुहूर्त सीधे 21 नवंबर से से शुरू होंगे। साल 2025 में गुरु 12 जून से 9 जुलाई तक 27 दिन के लिए अस्त होने वाले हैं। इसके अलावा शुक्र ग्रह 19 मार्च से 23 मार्च तक 4 दिन तक अस्त रहेंगे। इसके बाद दोबारा से 12 दिसंबर से 31 दिसंबर तक 24 दिन तक शुक्र अस्त रहेंगे। इस दौरान शुभ काम नहीं होंगे।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार मई माह में सबसे अधिक विवाह के मुहूर्त बनेंगे। इन माह में जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर शामिल हैं। वहीं, जून में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद नवंबर और दिसंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस बार गुरु ग्रह वृषभ राशि में रहेंगे और 12 फरवरी तक सूर्य मकर राशि में रहेंगे। विवाह के लिए इन ग्रहों की गणना देखी जाती है। इनका नवम पंचम योग बनेगा। यह नवम पंचम योग लाभकारी रहेगा।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि विवाह और सगाई जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त को शुभ माना जाता है। अगर किसी के विवाह की तारीख नहीं निकल पा रही है या फिर किसी कारण से शुभ मुहूर्त वाले दिन विवाह करना संभव ना हो तो अबूझ मुहूर्त में भी विवाह किया जा सकता है। धर्मग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी और देव प्रबोधिनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त माना गया है।
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ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। इस अवधि में विवाह और अन्य शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। वर्ष 2025 में 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड़ रही है, जिसके बाद भगवान विष्णु चार महीने तक विश्राम करेंगे। यह अवधि नवंबर में 1 तारीख को देवउठनी एकादशी पर समाप्त होगी। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से विशेष होता है इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है।
इस दौरान शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करना ज्योतिषीय नियमों के अनुसार वर्जित होता है। ऐसे में यदि आप ज्योतिष और शुभ मुहूर्त का पालन करते हैं, तो इन महीनों में विवाह या उससे संबंधित कार्य करने से बचें। यह समय पूजा-पाठ और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त माना जाता है। देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त पुनः आरंभ हो जाएंगे। इसलिए अपने विवाह की योजना बनाते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें और शुभ समय का चयन करें ताकि आपका दांपत्य जीवन सुखी और समृद्ध हो।
ज्योतिषाचार्य शर्मा के अनुसार सनातन धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है, जो कई प्रकार की परंपराओं और मान्यताओं से समृद्ध है। इस परंपरा में से एक शुभ विवाह भी है, यह जीवन का सबसे खुशनुमा पल होता है। विवाह कई तरह से किए जाते हैं, प्रत्येक के अपने-अपने रीति-रिवाज और महत्व होते हैं। हिंदू धर्म में यह 16 संस्कारों मे से एक होता है और इसके बगैर कोई भी व्यक्ति गृहस्थ आश्रम में प्रवेश नहीं कर सकता है। इसलिए हमारे शास्त्रों में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी माना जाता है।
अप्रैल: 14, 16, 18, 19, 20, 21, 22, 25, 29, 30
मई: 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 28
जून: 1, 2, 4, 5, 6, 7, 8
नवंबर: 21, 22, 23, 24, 25, 26, 30
दिसंबर: 1, 4, 5, 6
( कुछ पंचांग में भेद होने के कारण तिथि घट बढ़ सकती है और परिवर्तन हो सकता है। )
Published on:
10 Apr 2025 09:57 pm
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