
नवरात्रि में ज्वारे उगाने का विशेष महत्व है, इसके संकेत समझें
नवरात्रि में ज्वारे का महत्व
चैत्र और शारदीय नवरात्र, दोनों में ही जवारे उगाने का विशेष महत्त्व है। पृथ्वी पर उगाई जाने वाली सबसे पहली फसल जौ को ही माना जाता है। पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है। साथ ही धरती पर उगी पहली फसल ज्वारे को भी शास्त्रों में मां का ही एक रूप माना गया है। मान्यता है कि जिस घर में ज्वारे अच्छी तरह से बढ़ते हैं, उन पर माता की कृपा होती है। मान्यता है जिस घर में अच्छे हरे जवारे उगते हैं और तेजी से बढ़ते हैं उस घर में सुख समृद्धि आती है। वहीं जिन घरों में पीले जवारे उगते हैं, या अच्छे से नहीं उगते तो माना जाता है माता रानी नाराज हैं और परिवार पर संकट है, परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
जवारे उगाने का नियम
1. पूजा स्थल पर जौ बोने से पहले स्थान को साफ कर दें। इसके बाद वहां चावल के कुछ दाने डाल दें।
2. एक मिट्टी के सकोरे या कटोरे में ज्वारे उगाए जाते हैं। जवारे उगाने से पहले मिट्टी के पात्र को अच्छी तरह से धो लें। उसके भीतरी तल में स्वास्तिक बना लें।
3. अब इस पात्र में किसी पवित्र नदी की बालू डालें। बालू को अच्छी तरह से छान लें ताकि बालू के बड़े कंकड़-पत्थर निकल जाएं। यदि नदी की बालू नहीं मिल रही तो घर के पास साफ जगह पर थोड़ा गड्ढा खोदकर नीचे से पवित्र मिट्टी निकाल लें।
4. अब बालू में जौ के बीज डालें और अच्छी तरह से फैलाकर बालू से हल्के-हल्के ढंक दें।
5. जिस पात्र में जवारे उगा रहे हैं उसे माता की प्रतिमा के पास स्थापित करना चाहिए और नौ दिनों तक विधि-विधान से पूजन करना चाहिए।
6. ध्यान रखें कि नौ दिनों तक जौ वाले पात्र में नियमित रूप से जल अर्पित करते रहें और इसमें अत्यधिक जल न डालें। सीमित मात्रा में ही जल का छिड़काव करें।
7. तीन दिन में जवारे नजर आने लगेंगे। पांचवें दिन तक अच्छी वृद्धि हो जाएगी। ऐसे में मौली की मदद से उन्हें ढीला बांध दें। इससे जवारे को सपोर्ट मिलेगा और जवारे गिरेंगे नहीं।
Updated on:
11 Oct 2023 07:56 pm
Published on:
11 Oct 2023 07:36 pm
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