
neem karoli baba image: सुख शांति के लिए नीम करोली बाबा के उपाय
Neem Karoli Baba Words: 20वीं सदी के संत कैंचीधाम वाले संत नीम करोली बाबा का जीवन चमत्कारों से भरा है, वह सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले की मदद के लिए हमेशा आए। इसी कारण उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार ही मानते थे।
बाबा के भक्तों ने अपनी किताबों में उनके चमत्कारों की कहानियों के साथ उनके संदेशों को भी लिखा है, जिसे बहुत ही आसान भाषा में उन्होंने अपने भक्तों को समय समय पर समझाई हैं। इनमें गीता का ज्ञान है तो कबीर और उनका अनुभव भी, जो आज भी उनके भक्तों को रास्ता दिखाती हैं। रामदास की मिरेकल ऑफ लव हो या दादा मुखर्जी के संस्मरण हों या राजिदा की श्री बाबा नीब करोरी जी महाराज की दिव्य वास्तविकता .. आदि
बाबा नीब करौरी मानवता के सच्चे हिमायती थे, वो लोगों को आपस में प्रेमभाव रखने की सीख देते थे। साथ ही सच बोलने के लिए प्रेरित करते थे। उनका मानना था लोग एक दूसरे से प्रेम करेंगे तो संसार की आधे से अधिक कठिनाइयों से वो खुद पार पा लेंगे।
मध्यकालीन कवियों की तरह वो जीवन में प्रेम के महत्व पर बहुत जोर देते थे, कहते थे जिस दिन सबके लिए तुम्हारे हृदय में प्रेम जाग जाएगा तुम ईश्वर के करीब पहुंच जाएगा और तुम्हें संतोष मिलने से तुम्हारे सब दुख दूर हो जाएंगे।
बाबा नीम करौली की ईश्वर पर अटूट विश्वास था और गीता के कर्मयोग की तरह वो आसान भाषा में भक्तों को समझाते थे कि सब कुछ ईश्वर ही करता है और तुम माध्यम मात्र हो। दरअसल हर घटना उसकी लीला का हिस्सा है।
इसलिए ये मत सोचो कि ये मैंने या तुमने किया है, भगवान अपने ढंग से लीला करते हैं। इसमें न मेरी कोई भूमिका है, न ही आपकी। इससे आप अहंकार से दूर रहोगे और दुखों से भी बचोगे।
बाबा नीम करोली का कहना था जीवन का असली लक्ष्य ईश्वर को पाना है और जब ईश्वर की राह पर चल पड़े हो तो कोई भी कठिनाई आए रूको मत, क्योंकि वही अंतिम लक्ष्य है।
साथ ही ईश्वर पर भरोसा रखोंगे तो वो तुम्हारा ख्याल रखेगा। ईश्वर इस दुनिया के हर व्यक्ति की देखभाल करता है, विशेष रूप से जिसकी देखभाल करने वाला यहां कोई नहीं होता।
नीब करौरी बाबा ने संतों को सांसारिक लोगों से अधिक मिलने जुलने से सचेत किया था। उनका कहना था कि बार-बार मिलने से लगाव पैदा होता है और संतों के लिए लगाव अच्छा नहीं है।
कंटेनर, चाहे कितना भी कीमती या आकर्षक हो, वह पदार्थ नहीं है, जिसे हम हासिल करना चाहते हैं। हमें सामग्री को पकड़कर कंटेनर को अलग रखने के लिए कहा जाता है। कस्तुरी की तरह ईश्वर को खुद में खोजने का प्रयास करने की सलाह दी है।
बाबा नीम करोली द्वार आए हर व्यक्ति की देखरेख और चिंता करने की सीख देते थे। उनका कहना था इस संसार में किसी को भूखा नहीं रखना चाहिए, सबसे प्यार होगा तो उसके लिए आप हर प्रयास करेंगे और इससे आप भी सुखी रहेंगे।
लेकिन किसी को भूखा रखने से ईश्वर नाराज होते हैं और इससे आपको भी कष्ट मिलेगा। विशेषकर बच्चों को तो कभी भूखा न रखें।
नीम करौली बाबा अक्सर मध्यकाल के रहस्यमयी संतों की तरह अपने विदेशी शिष्यों को ईसा की तरह ध्यान लगाने की सीख देते थे।
बाबा नीम करोली का कहना था जैसे प्यार में व्यक्ति खुद को खो देता है जैसे नदी समुद्र में मिल जाती है, वैसे ही ईसा ध्यान लगाते थे आपको भी ईसा की तरह ध्यान लगाना चाहिए और ईश्वर के प्यार में खुद को खो देना चाहिए, तब आपको अपनी चिंता ही नहीं रहेगी, आप खुद को ईश्वर से अलग कर देखना छोड़ देंगे। आपका विश्वास अटूट हो जाएगा, बाकी चीजें आपके लिए बेमानी हो जाएंगी। इसी में जीवन का फलसफा है।
बाबा नीम करौली कहते थे जीवन का असली मकसद जन्म मृत्यु के चक्र से छूटकर ईश्वर को पाना है। इसके लिए इच्छा के बंधन से मुक्त होना होगा, इसीसे पुनर्जन्म और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलेगी। क्योंकि व्यक्ति में कोई इच्छा ही नहीं रहेगी और ईश्वर को पा लेगा।
नीम करौरी बाबा भक्तों को आत्म साक्षात्कार और आत्मज्ञान प्राप्त करने की सीख देते थे। वो कहते थे किसी भी प्रकार की आसक्ति ठीक नहीं है, क्योंकि हर व्यक्ति अपने कर्म के लिए भवसागर में आया है, इसलिए ईश्वर के अलावा किसी की चिंता व्यर्थ है।
इसी आसक्ति से मुक्ति आपको माया से मुक्त करेगा और ईश्वर तक पहुंचने का द्वार खोलेगा। जब आपको कोई आसक्ति नहीं रहेगी तो सांसारिक चीजों की आपको परवाह भी नहीं रहेगी। आप समभाव प्राप्त कर लेंगे, आपके लिए न प्रशंसा का अर्थ रहेगा और न निंदा का आप योगी की तरह सुखी हो जाएंगे।
Updated on:
19 Nov 2024 04:43 pm
Published on:
16 Feb 2024 08:08 pm
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