ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी को सातवीं महाविद्या धूमावती का प्रकटोत्सव (dhumavati prakatotsav) मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी 28 मई को पड़ रही है। इस दिन माता की पूजा अर्चना से सभी दुखों का नाश होता है, दरिद्रता दूर होती है और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है तो आइये जानते हैं माता धूमावती पूजा के मंत्र, धूमावती स्तुति और कवच.. आदि
Yogini Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी के बीच पड़ने वाली एकादशी योगिनी एकादशी कही जाती है। यह एकादशी आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में और अंग्रेजी कैलेंडर के जून, जुलाई महीने में पड़ती है। योगिनी एकादशी इस साल 14 जून को पड़ रही है। आइये जानते हैं योगिनी एकादशी का महत्व, पूजा विधि आदि...
प्रत्येक महीने की चतुर्थी तिथि खास होती है, यह तिथि पार्वती नंदन गणेशजी की पूजा के लिए समर्पित होती है। हर महीने दो बार पड़ने वाली चतुर्थी तिथि में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी तो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Jyestha Vinayak Chaturthi ) कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी इस बार 23 मई को पड़ रही है. आइये जानते हैं कि विनायक चतुर्थी पर कैसे करें गणेशजी की पूजा (Lord Ganesha Puja Vidhi) ..
भक्तिकाल के प्रमुख संतों में से एक कबीरदास की बातें (Kabir Das Ki Baten) अपने भीतर गूढ़ ज्ञान समाए हुए हैं। उनमें ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग छुपा हुआ है तो सामाजिक बुराइयों पर कटाक्ष भी है। खास बात है कबीर की अमृतवाणी आज भी प्रासंगिक है, जिसमें जीवन के गहरे अर्थ छिपे हुए हैं। आइये जानते हैं कबीरदास की दस अनमोल बातें (kabir Das ki jayanti), जा आज भी प्रासंगिक हैं...
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी ( Nirjala Ekadashi 2023 ) के रूप में जानी जाती है, इस व्रत का पालन सभी एकादशी में सबसे कठिन है, खास बात यह है कि इस साल यह एकादशी चार योगों के बीच पड़ रही है तो आइये जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत, निर्जला एकादशी कथा, भीमसेनी एकादशी पूजा विधि, निर्जला एकादशी के दिन योग (Auspicious Yoga On Nirjala Ekadashi)और इसके महत्व के बारे में..
सुहागिनें ज्येष्ठ अमावस्या यानी वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023 ) 19 मई को रखेंगी। लेकिन पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं से अक्सर कुछ ऐसी गलितियां हो जाती हैं, जो शास्त्रों के अनुसार ठीक नहीं मानी जातीं। इसलिए यह जान लेना जरूरी है कि वट सावित्री व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें..
सनातन धर्म मानने वालों के लिए अमावस्या तिथि (Jyeshtha Amavasya 2023) बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन पूजा और श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा, श्राद्ध और आसान उपाय से तीन तरह के दोषों से छुटकारा मिलता है।
Vat Savitri Vrat: सनातन धर्म में व्रतों का बड़ा महत्व है, पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला वट सावित्री व्रत भी इसी में से एक है। महिलाओं की ओर से ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह उपवास रखा जाता है। इस बार यह तिथि 19 मई शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन कई दुर्लभ संयोग (yoga on vat savitri vrat) भी बन रहे हैं, जिन्हें हर व्रती को जानना चाहिए(vat savitri vrat puja vidhi )।
गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा मोक्षदायिनी गंगा की पूजा के विशेष दिन हैं। मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन माता गंगा शिवजी की जटा में उतरीं थीं और गंगा दशहरा के दिन इनका अवतरण धरती पर हुआ था। इस कारण दोनों दिन गंगाजी की पूजा और व्रत का विधान है। इस साल व्यतीपात योग (vyatipat yog ) में गंगा दशहरा (Ganga Dussehra )मनेगा। इससे यह तिथि खास हो गई है। आइये जानते हैं कब है गंगा दशहरा, गंगा दशहरा की पूजा विधि और महत्व क्या है।
अभी एक महीने पहले ही वैशाख अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई (Shani Jayanti celebration ) गई थी। अब फिर शनि जयंती आ गई है। यह जानकर आप हैरान हो सकते हैं कि महज महीने के भीतर किसी देवता की दूसरी बार जयंती मनाई जाए। लेकिन यह सच है ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya) 19 मई को उत्तर भारत में शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाएगी। इससे पहले वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल के दिन दक्षिण भारत में शनि जयंती मनाई गई थी। इसके पीछे की वजह और भी हैरान करने वाला है तो आइये जानते हैं वजह।