मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा-पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। 17 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त ( रक्षाबंधन ) को सावन मास का समापन होगा।
ये भी पढ़ें- सावन से पहले सोशल मीडिया पर छा गया यह कांवड़ गीत माना जाता है कि सावन माह भगवान भोलेनाथ को विशेष प्रिय है। कहा जाता है कि देवशयन के बाद भगवान विष्णु चार माह तक क्षीर सागर में विश्राम करते हैं और सृष्टि की बागडोर भोलेनाथ संभालते हैं। सावन माह में भोलनेथा प्रकृति के सौंदर्य को निहारते है और विद्यमान रहते हैं। यही कारण है कि सावन में भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है।
सावन मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है। दीर्ध आयु और सुख समृद्धि के लिए ऊँ नम: शिवाय, शिव चालिसा और शिव स्तोत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि जिन लड़कियों की विवाह में विलंब हो रहा है, उन्हें सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार तक व्रत करना चाहिए। ऐसा करने से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।
सावन मास में पड़ने वाले व्रत-त्यौहार