आठ हजार आवेदनों में दो हजार को बांटे गए थे पट्टे वर्ष 2016-17 तक आठ हजार आवेदन आए थे, जिनके सत्यापन के दौरान छह हजार आवेदन निरस्त कर दिए गए थे। करीब दो हजार भूमिहीन गरीबों को भू-अधिकार प्रमाण-पत्र दिया गया था। वनभूमि पर २००६ से पहले काबिज ऐसे भूमिहीन गरीबों के आवेदनों को सीएम ने दोबारा सत्यापन कराने का निर्णय लिया है जिनके आवेदन प्रारंभिक प्रक्रिया के दौरान निरस्त कर दिए गए थे। इस संबंध में शासन ने गाइड लाइन जारी कर दी है। कलेक्टर प्रीति मैथिल के निर्देश पर आदिम जाति कल्याण विभाग ने आवेदनों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आवेदनों को सत्यापन के लिए संबंधित खंड स्तरीय कमेटी को भेज दिया गया है।
ये कमेटियां करेंगी सत्यापन वनाधिकार पट्टे के लिए आए आवेदनों के सत्यापन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर कमेटी गठित की गई है। कमेटी में पंचायत सचिव, सरपंच एवं एक अन्य सदस्य को रखा गया है। ब्लाक स्तरीय कमेटी गठित में एसडीएम अध्यक्ष, अजाक के मंडल संयोजक और फारेस्ट विभाग के एसडीओ सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे। जिला स्तरीय कमेटी में अध्यक्ष कलेक्टर, सचिव जिला संयोजक अजाक और सदस्य के रूप में डीएफओ रहेंगे।
31 जुलाई तक पुन:परीक्षण की डेडलाइन जिले में निरस्त आवेदनों के पुनरीक्षण के लिए शासन ने ३१ जुलाई की डेडलाइन तय की है। सत्यापन के बाद आवेदन पात्र पाए जाने पर वनाधिकार के तहत पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ऐसे तय होगी पात्रता वन क्षेत्र की भूमि पर २००६ के पहले से मकान, झोपड़ी बनाकर काबिज रहने वाले भूमिहीन एससी-एसटी परिवार के लोग पात्रता की श्रेणी रखते हैं। इसी तरह सामान्य लोगों के लिए वन भूमि पर 74 साल से रहने का प्रमाण देना होगा।
वर्जन… शासन के आदेश के बाद आवेदन पुनरीक्षण के लिए खंडस्तर पर भेज दिए गए हैं। सत्यापन के बाद शासन की गाइड लाइन के तहत अगली प्रक्रिया शुरू की जाएगी। राजेन्द्र जाटव, जिला संयोजक, रीवा