रीवा में कुपोषण से मासूम की मौत, 32 हजार कमजोर मासूमों पर भी मंडरा रहा संकट
महिला बाल विकास के सर्वे के दौरान 32 हजार अति कमजोर बच्चों को चिह्ंत किया है

रीवा. जिले में कुपोषण से जंग लड़ रहे मामूसों पर संकट मंडरा रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते त्योथर पोषण पुनर्वास केन्द्र में 24 माह का मासूम दमतोड़ दिया। इससे भयभीत मां पूजा अपने डेढ़ साल के दूसरे बच्चे को लेकर घर लौट गई। जिम्मेदार लापरवाह तमाशबीन बने रहे।
23 नवंबर को कराया था भर्ती
जिले के त्योंथर सिविल अस्पताल में 10 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र है। 23 नवंबर को झूटिया गांव की पूजा हरिजन अपने दो बच्चों को एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया। बड़ा बेटा अर्जुन 24 माह का और दूसरा छोटा बेटा भीम करीब 13 माह का है पूजा श्रमिक है दोनों बच्चे कुपोषण से जंग लड़ रहे थेए जिसमें बड़े बेटे अर्जुन ने पोषण पुनर्वास केंद्र में अव्यवस्था के चलते दम तोड़ दिया ।
पोषण आहार नहीं मिलने से घटना गया वजन
एनआरसी रिकॉर्ड के मुताबिक भर्ती दिनांक को अर्जुन का वजन 5 किलो 825 ग्राम था अव्यवस्था इस कदर थी कि अर्जुन का वजन तिल तिल कर हर रोज करता रहा और 29 नवंबर को अर्जुन एक बार उल्टी दस्त हुआ और मौत हो गई 30 दिन अर्जुन का वजन 200 ग्राम से अधिक कम हो गया था केयरटेकर सावित्री तिवारी ने चिकित्सक को सूचना देकर बुलाया चिकित्सक एनआरसी केंद्र में पहुंचते की इससे पहले अर्जुन दम तोड़ चुका था इसकी सूचना से एनआरसी में कोहराम मच गया मां पूजा का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।
मां पूजा दूसरे बच्चे को लेकर चली गई घर
पूजा का दूसरा बच्चा भी कुपोषित है पोषण पुनर्वास केंद्र में फालोअप ठीक से नहीं होने के कारण कुपोषण की जंग लड़ रहा है पूजा का पूरा परिवार कुपोषित है बड़े बेटे की मौत से भयभीत पूजा पोषण पुनर्वास केंद्र से अपने छोटे बच्चे भीम को भी लेकर घर चली गई एनआरसी में वर्तमान समय में सात बच्चे भर्ती हैं यहां पर 3 बेड खाली पड़े हैं आरोप है कि प्रभारी बीएमओ एसएन पानडेय अस्पताल में समय नहीं दे रहे हैं जिससे अव्यवस्था के चलते मासूमों की तिल तिल कर मौत हो रही है अव्यवस्था इस कदर है कि पोषण पुनर्वास केंद्र में मैन्यू के अनुसार माताओं और बच्चों को पोषण आहार नहीं दिया जा रहा है
महिला बाल विकास के सर्वे में कमजोर बच्चे चिह्ंित
महिला बाल विकास के सर्वे के दौरान 32 हजार अति कमजोर बच्चों को चिह्ंित किया गया है। बावजूद इसके पोषण पुनर्वास केन्द्र के बेड खाली पड़े हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी इस कदर है कि सरकार की योजनाएं गरीब बच्चों के लिए बेमानी हैं। कमजोर बच्चों पर भी खतरा मंडरा रहा है।
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