जिले के हनुमना जनपद क्षेत्र के करकचहा ग्राम पंचायत की जत्था आदिवासियों की बस्ती है। करीब तीन सौ आबादी वाली बस्ती में एक भी गरीब का नाम प्रधानमंत्री लिस्ट में नहीं है। गांव के शिवबरन आदिवासी ने अधिकारियों को बताया कि पूरा गांव इस योजना से वंचित है। सरपंच से लेकर पंचायत अधिकारियों को आवेदन दिया गया। अधिकारी अगली बार की लिस्ट में आने का आश्वासन दे रहे हैं। कमोवेश यही कहानी बसेंगड़ा पंचायत के देवरी गांव की है।
जनपदों की ओर से जिला पंचायत कार्यालय को भेजे गए रिकॉर्ड में हनुमना, त्योंथर, जवा और नईगढ़ी ब्लाक सहित जिले के कई अन्य ब्लाक के चालीस से अधिक ऐसे गांव हैं जिनका नाम प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिशन योजना की फेहरिस्त बाहर है। ऐसे गांवों को चिह्नित किया जा रहा है। शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास के प्रभारी विनोद पांडेय ने बताया कि पंचायत स्तर पर अधिकतम चार से पांच पंचायतें ऐसी होंगी। कुछ ऐसे गांव हैं जो बीरान गांवों की संख्या ज्यादा है। ऐसे गांवों की लिस्ट तैयार कराई गई है। शासन को जानकारी भेज दी गई है।
पंचायत अमले की कागजी खानापूर्ति के चलते लाभार्थी के खाते में दूसरी किस्त नहीं पहुंची। जिससे प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास अधूरा है। कच्चा मकान ढहाने के बाद आवास का निर्माण करा रहे गरीब पॉलीथिन की झोपड़ी में रहने को विवश है। मामूली बारिश से पॉलीथिन की झोपड़ी में रात काटना मुश्किल हो रहा है। हम बात कर रहे हैं जदुआ गांव के रामसिया की। दो माह से दूसरी किस्त जारी कराने के लिए पंचायत से लेकर जिला पंचायत कार्यालयत तक चक्कर लगा रहे हैं। ये कहानी अकेले रामसिया की नहीं बल्कि पांच हजार से ज्यादा लाभार्थियों की है। सोमवार दोपहर रामशिरोमणि जिला पंचायत कार्यालय के प्रधानमंत्री आवास योजना के परियोजना अधिकारी विनोद पांडेय को आवेदन देकर कहा साबह, दूसरी किस्त जारी करा दीजिए, नहीं तो बारिश में बच्चे भीग जाएंगे।
सोमवार दोपहर रीवा जनपद क्षेत्र के डिहिया गांव के आदिवासी बस्ती के सैकड़ों गरीब कलेक्ट्रेट से लेकर जिला पंचायत कार्यालय में आवेदन लेकर भटक रहे थे। गरीबों ने कलेक्टर कार्यालय में आवेदन देकर बताया कि गांव के दो चार गरीबों को छोड़ दे तो दो सौ से अधिक की आदिवासी बस्ती में किसी भी गरीब का नाम प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास की लिस्ट में नहीं है। गांव के जगदीश आदिवासी, रनिया प्रजापति, शिवबहोर, कमलेश, रमेश, सुग्रीव, मुन्ना, विजेंद्र, मुरली कोल सहित दर्जनों की संख्या में गरीब आवेदल लेकर अफसरों की चौखट पर भटक रहे हैं।