जिले में जिला अस्पताल परिसर से लेकर ब्लाक स्तर पर कुल 10 एनआरसी केन्द्र बनाए गए हैं। हनुमना ब्लाक को छोड़ शेष सभी ब्लाक मुख्यालयों पर एक-एक एनआरसी खोले गए हैं। सिरमौर ब्लाक में सेमरिया को मिलाकर दो सेंटर हैं। केन्द्रों पर कुपोषित और कमजोर बच्चों को भर्ती कर उन्हें पोषण आहार दिए जाने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा केन्द्रों पर कुपोषित बच्चों के सेहत के ख्याल रखने और उनके लालन-पालन से जुडी बारीकियों की जानकारी भी दी जानी है।
माताओं को जानकारी दी जानी है कि कुपोषित बच्चों की पहचान, छोटे बच्चों की बीमारी माता-पिता को कैसे पता चले। इस बारे में भी केन्द्र पर जानकारी दी जानी है। इसके अलावा बच्चों के चिड़चिड़ापन आदि पहचाने के लिए के लिए परामर्श दिया जाना है। इसके लिए केन्द्रों पर बकायदे बाल पोषण परामर्श रखे गए हैं। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते केन्द्रों पर भर्ती हो रहे बच्चों की माता को किसी पोषण संबंधी जानकारी नहीं दी जा रही है। दो दिन पहले कलेक्टर जवा तहसील का निरीक्षण करने पहुंचे थे। लौटते समय वह जवा पुनर्वास केन्द पहुंच गए। व्यवस्थाएं और साफ-सफाई तो दिखी, लेकिन केन्द्र पर मिलने वाली सुविधाएं संतोष जनक नहीं रहीं। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने केन्द्र पर भर्ती बच्चों की मां से पोषण संबंधित जानकारी चाही तो मताएं नहीं बता सकीं।
जिला मुख्यालय पहुंचने के बाद कलेक्टर ने जिले में संचालित सभी एनआरसी की जानकारी तलब की है। वर्तमान में जिलेभर की एनआरसी में भर्ती बच्चों से जुड़ी जानकारी के साथ ही बच्चों और उनकी मां को दिए जा रहे पोषण आहार की भी रिपोर्ट तलब की है।
जिला हॉस्पिटल सहित ग्रामीण क्षेत्र में संचालित कई एनआरसी केन्द्रों पर दूध के साथ कई अन्य पोष्टिक आहार नहीं दिया जा रहा है। सामान्यरूप से मिलने वाले भोजन के अलावा न्यूटचार्ट के अनुसार उन्हें पोषहण आहार नहीं मिल रहा है। केन्द्र पर मौदूज कर्मचारियों ने बताया कि संबंधित बच्चों की संख्या कम होने के कारण भोजन देने वाली संस्था अनदेखी कर रही है। कई बार शिकायत के बाद भी विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।