छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने ली समाधि... आज ताजा हो गईं पांच साल पहले की यादें... आप भी पढ़ें आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के उन 21 दिनों की गाथा...जब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज मध्यप्रदेश के सागर जिले मे रुके
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में शनिवार देर रात 2.35 बजे जैन समाज के महान संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने (आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज) आचार्य पद का त्याग करने के बाद 3 दिन का उपवास और मौन धारण कर लिया था, इसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ में जुटना शुरू हो गए हैं। सागर से भी बड़ी संख्या में लोग दर्शनों के लिए पहुंचे। आज दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
21 दिन रहे थे सागर में
* आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का सबसे ज्यादा आगमन बुंदेलखंड में हुआ था। जनवरी 2019 में अंतिम बार गुरुदेव सागर प्रवास पर गुरुदेव खुरई से सागर आए थे और लगभग 21 दिन तक सागर में रहे थे। जिले में गुरुदेव का प्रवास पटना गंज में 85 दिन का रहा।
* 12 मार्च 2022 को गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कुंडलपुर से पहुंचे थे और 23 मई 2022 को पटना गंज से एक साथ विहार किया
* 40 दिन में 650 किलोमीटर की यात्रा कर अंतरिक्ष पारसनाथ सिरपुर महाराष्ट्र पहुंचे थे।
* गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का सबसे ज्यादा प्रवास कुंडलपुर में रहा और वहां पर चार चातुर्मास किए।
* जबकि बीना बारहा में चार चातुर्मास गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने किए हैं।
* इसके अलावा पपौरा, टीकमगढ़, नैनागिर, छतरपुर, खजुराहो और सागर के भाग्योदय में चातुर्मास हुआ है।
कर्नाटक में हुआ था जन्म
* आपका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को विद्याधर के रूप में कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके पिता श्री मल्लप्पा थे जो बाद में मुनि मल्लिसागर बने।
* उनकी माता श्रीमंती थी जो बाद में आर्यिका समयमति बनी। विद्यासागर को 30 जून 1968 में अजमेर में 22 वर्ष की आयु में आचार्य ज्ञानसागर ने दीक्षा दी जो आचार्य शांतिसागर शिष्य थे।
* आचार्य विद्यासागर को 22 नवम्बर 1972 में ज्ञानसागर द्वारा आचार्य पद दिया गया था, केवल विद्यासागर जी के बड़े भाई ग्रहस्थ है। उनके अलावा सभी घर के लोग संन्यास ले चुके है। उनके भाई अनंतनाथ और शांतिनाथ ने आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षा ग्रहण की और मुनि योगसागर और मुनि समयसागर जी कहलाए।